प्रदेश सरकार ने पहली उत्तराखंड हेलीपैड व हेलीपोर्ट नीति को मंज़ूरी दी | 05 Dec 2023
चर्चा में क्यों?
4 दिसंबर, 2023 को उत्तराखंड राज्य सरकार ने प्रदेश में एयर कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिये पहली उत्तराखंड हेलीपैड व हेलीपोर्ट नीति को मंज़ूरी दी है। इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलने के साथ ही आपातकालीन चिकित्सा और आपदा के दौरान बचाव व राहत कार्यों में आसानी होगी।
प्रमुख बिंदु
- प्रदेशभर में कई ऐसे स्थान हैं, जहाँ पर हेलीपैड या हेलीपोर्ट विकसित किया जा सकता है, लेकिन यहाँ पर सरकारी ज़मीन उपलब्ध नहीं है। इसके लिये सरकार ने निजी भूमि पर हेलीपैड व हेलीपोर्ट बनाने की नीति को मंज़ूरी दी है।
- नीति में हेलीपैड व हेलीपोर्ट के लिये ज़मीन देने के लिये भू-स्वामी को दो विकल्प दिये गए हैं-
- पहला, भूस्वामी ज़मीन को 15 साल के लिये उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण (यूकाडा) को लीज़ पर दे सकता है, जिसमें यूकाडा डीजीसीए नियमों के तहत हेलीपैड को विकसित करेगा। इसके लिये बदले भू-स्वामी को प्रति वर्ष 100 रुपए प्रति वर्गमीटर के हिसाब से किराया दिया जाएगा। इसके अलावा संचालन एवं प्रबंधन से प्राप्त होने वाले राजस्व का 50 प्रतिशत भुगतान किया जाएगा।
- दूसरा, भू-स्वामी स्वयं भी हेलीपैड व हेलीपोर्ट को विकसित कर सकता है। इसके लिये डीजीसीए से लाइसेंस लेकर हेलीपैड का इस्तेमाल करने वालों से शुल्क लेगा। सरकार की ओर से कुल पूंजीगत व्यय पर 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जाएगी।
- नीति में हेलीपैड के लिये कम-से-कम 1,000 वर्गमीटर और हेलीपोर्ट के लिये 4,000 वर्गमीटर ज़मीन अनिवार्य है। हेलीपैड बनाने के लिये 10 से 20 लाख रुपए तक खर्च और हेलीपोर्ट निर्माण में दो से तीन करोड़ रुपए खर्च का अनुमान है। यदि भूस्वामी स्वयं हेलीपैड व हेलीपोर्ट बनाता है तो इस पर सरकार सब्सिडी देगी, जिसका भुगतान दो किस्तों में किया जाएगा।