मध्य प्रदेश
ग्वालियर में बनेगी प्रदेश की पहली एरोपॉनिक तकनीक आधारित लैब
- 05 May 2022
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चर्चा में क्यों?
4 मई, 2022 को विषाणु रोगरहित आलू बीज उत्पादन के लिये एरोपॉनिक विधि का भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् (आईसीएआर) और मध्य प्रदेश सरकार के साथ दिल्ली में अनुबंध हुआ।
प्रमुख बिंदु
- भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् (आईसीएआर) में केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान, शिमला ने हवा में आलू के बीज उत्पादन की यह अनूठी तकनीक विकसित की है।
- मध्य प्रदेश के उद्यानिकी विभाग को इस तकनीक का लाइसेंस देने के लिये यह अनुबंध किया गया है। अनुबंध के अनुसार ग्वालियर में प्रदेश की पहली एरोपॉनिक तकनीक आधारित लैब स्थापित होगी।
- मध्य प्रदेश के उद्यानिकी, खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) भारत सिंह कुशवाह ने कहा कि एरोपॉनिक तकनीक आलू बीज की ज़रूरत को काफी हद तक पूरा करेगी। किसानों की आय को दोगुना करने में यह तकनीक कारगर भूमिका निभाएगी।
- गौरतलब है कि मध्य प्रदेश आलू का छठा सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है। प्रदेश का मालवा क्षेत्र आलू उत्पादन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। प्रदेश में प्रमुख आलू उत्पादक क्षेत्र इंदौर, ग्वालियर, उज्जैन, देवास, शाजापुर, भोपाल तथा प्रदेश के अन्य छोटे क्षेत्र छिंदवाड़ा, सीधी, सतना, रीवा, राजगढ़, सागर, दमोह, छिंदवाड़ा, जबलपुर, पन्ना, मुरैना, छतरपुर, विदिशा, रतलाम एवं बैतूल हैं।
- प्रदेश के उद्यानिकी आयुक्त ई. रमेश कुमार ने कहा कि मध्य प्रदेश को लगभग 4 लाख टन बीज की आवश्यकता है, जिसे 10 लाख मिनी ट्यूबर उत्पादन क्षमता वाली इस तकनीक से पूरा किया जाएगा। ग्वालियर में ‘एक ज़िला- एक उत्पाद’ में आलू फसल का चयन किया गया है।
- उल्लेखनीय है कि एरोपॉनिक के ज़रिये पोषक तत्त्वों का छिड़काव मिस्टिंग के रूप में जड़ों में किया जाता है। पौधे का ऊपरी भाग खुली हवा और प्रकाश में रहता है। एक पौधे से औसत 35-60 मिनिकंद (3-10 ग्राम) प्राप्त किये जाते हैं। चूँकि, मिट्टी का उपयोग नहीं होता, इसलिये मिट्टी से जुड़े रोग नहीं होते हैं।