मध्य प्रदेश
राज्य पशु कल्याण सलाहकार मंडल गठित
- 22 Jan 2022
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चर्चा में क्यों?
21 जनवरी, 2022 को राज्य शासन द्वारा पशुपालन एवं डेयरी मंत्री प्रेमसिंह पटेल की अध्यक्षता में राज्य पशु कल्याण सलाहकार मंडल का गठन किया गया।
प्रमुख बिंदु
- केंद्र शासन के दिशा-निर्देशानुसार गठित मंडल में अध्यक्ष कार्य परिषद मध्य प्रदेश गो-पालन एवं पशुधन संवर्धन बोर्ड उपाध्यक्ष और अपर मुख्य सचिव पशुपालन सदस्य होंगे। अन्य सदस्यों में विधायक, अशासकीय प्रतिनिधि और पशु कल्याण से जुड़ी संस्थाएँ शामिल की गई हैं।
- समिति पशुओं के प्रति क्रूरता एवं बरताव के निवारण, पशुओं के परिवहन में उपयोग, पशुओं के लिये शेड, पानी, चिकित्सा सहायता आदि के संबंध में राज्य सरकार को समय-समय पर सुझाव देगी।
- विधायकों में सुमित्रा देवी कास्डेकर और राम दांगोरे, गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव और वन, शिक्षा, पंचायत एवं ग्रामीण विकास और नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के प्रमुख सचिव, पीसीसीएफ (वाइल्ड लाइफ), संचालक पशुपालन एवं डेयरी विभाग, प्रबंध संचालक पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम और भारतीय वन जीव कल्याण बोर्ड के प्रतिनिधि को सदस्य नामांकित किया गया है।
- अशासकीय सदस्यों में कैलाश ललवानी गोपाल गोशाला नलखेड़ा ज़िला आगर-मालवा, वैदपाल झा केदारधाम गोशाला एवं जैव कृषि अनुसंधान केंद्र केदारपुर ज़िला ग्वालियर, प्रमोद नेमा भोपाल, जितेंद्र नरोलिया इंदौर और शंकर लाल पाटीदार कामधेनु सेवा संस्थान इमलिया जिला रायसेन शामिल हैं।
- पशु कल्याण से जुड़ी संस्थाओं में गो सेवा आश्रम देवरी ज़िला मुरैना, एनिमल क्योर एंड केयर ग्वालियर, श्री गोस्वामी रामानंद गोशाला गुना, श्री कृष्ण गोशाला सेवा आश्रम कुसमानिया ज़िला देवास, एनिमल एंड एनवायरनमेंट केयर ऑर्गनाइजेशन भोपाल, कामधेनु गोशाला भोपाल, श्री कृष्ण गोशाला एवं गो-संवर्धन समिति सिरोंज, त्रिवेणी गोशाला बैतूल, श्री दयोदय पशुधन संरक्षण समिति हरदा और जन-जागरण एजूकेशनल एंड हेल्थ वेलफेयर सोसायटी मकरोनिया ज़िला सागर भी बोर्ड के सदस्य होंगे।
- इस सलाहकार मंडल के प्रमुख कार्य हैं-
- पशुओं के प्रति क्रूरता का निवारण अधिनियम, 1960 के उपबंधों का पर्यवेक्षण एवं प्रशासन को सलाह देना।
- पशुओं के प्रति क्रूरता या बर्ताव के संबंध में शासन को सलाह देना।
- पशुओं के परिवहन में उपयोग होने वाले यानों की संरचना में सुधार हेतु शासन, प्रशासन या यान स्वामी को सुझाव देना।
- पशुओं के लिये शेड, पानी, चिकित्सा सहायता हेतु निर्णय लेना।
- पशुवध गृहों की संरचना, रख-रखाव के संबंध में शासन और स्थानीय प्राधिकरणों को आवश्यक सुझाव देना।
- आवारा पशुओं को पकड़ते समय उन्हें यातना और दर्द से निजात दिलाने के लिये आवश्यक कदम उठाना।
- असहाय, वृद्ध पशुओं और वन्य-प्राणियों की सुरक्षा करने वाली संस्थाओं को पिंजरा, बल्लियाँ, आश्रय स्थल के निर्माण आदि के लिये आवश्यक अनुदान उपलब्ध कराना।
- पशु क्रूरता निवारण के क्षेत्र में कार्यरत् संस्थाओं को आवश्यक सहयोग देना।
- पशुओं को सामान्यत: दी जाने वाली अनावश्यक यातनाओं के विरुद्ध लोगों को जागरूक करना और पशुओं के स्वास्थ्य संरक्षण के संबंध में राज्य शासन को सुझाव देना शामिल हैं।