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मध्य प्रदेश

जल-संसाधन विभाग को सिंचाई में हासिल हुई विशेष उपलब्धियाँ

  • 07 Jan 2023
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

6 जनवरी, 2023 को मध्य प्रदेश जल-संसाधन विभाग ने बीते वर्षों में सिंचाई के क्षेत्र में हासिल की गई अनेक उपलब्धियों का ब्यौरा जारी किया।

प्रमुख बिंदु  

  • इस अवसर पर मध्य प्रदेश के जल-संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट ने कहा है कि सिंचाई क्षमता में बीते दो साल में 3 लाख 48 हज़ार हेक्टेयर क्षेत्र की वृद्धि हुई है।
  • विभाग द्वारा वर्तमान में 37 लाख 7 हज़ार हेक्टेयर सिंचाई क्षमता विकसित की जा चुकी है। तवा परियोजना के कमांड में जायद फसल के लिये किसानों को 89 हज़ार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा मिल रही है।
  • वर्ष 2020-21 एवं 2021-22 में 840.3 करोड़ रुपए के राजस्व की वसूली की गई है। वहीं 2022-23 में सितंबर तक 266.11 करोड़ रुपए राजस्व की वसूली की जा चुकी है।
  • विभाग ने वर्ष 2020-21 में एक लाख 15 हज़ार हेक्टेयर सिंचाई क्षमता विकसित करने के लक्ष्य के विरूद्ध एक लाख 16 हज़ार हेक्टेयर सिंचाई क्षमता विकसित की। वहीं 2021-22 के लक्ष्य एक लाख 70 हज़ार हेक्टेयर के विरूद्ध एक लाख 71 हज़ार हेक्टेयर क्षेत्र में नवीन सिंचाई क्षमता विकसित की गई। कुल सिंचाई क्षमता बढ़ाकर 40 लाख हेक्टेयर करने के लक्ष्य को 31 दिसंबर, 2023 तक पूर्ण कर लिया जाएगा।
  • विभाग द्वारा मध्य प्रदेश में बीते दो वर्ष में कुल 126 नयी वृहद, मध्यम और लघु सिंचाई परियोजनाएँ शुरू की गईं। इनमें चार वृहद्, 10 मध्यम और 112 लघु परियोजनाएँ शामिल हैं। इन सभी 126 सिंचाई परियोजनाओं की लागत 6 हज़ार 700 करोड़ रुपए है। इन नयी सिंचाई परियोजनाओं से 3 लाख 34 हज़ार हेक्टेयर सिंचाई क्षमता विकसित होगी।
  • मध्य प्रदेश में बहु प्रतीक्षित केन-बेतवा लिंक राष्ट्रीय परियोजना का कार्य जल्द शुरू किया जाएगा। 44 हज़ार 605 करोड़ रुपए लागत की इस राष्ट्रीय परियोजना से प्रदेश के सूखाग्रस्त बुंदेलखंड क्षेत्र के 8 लाख 11 हज़ार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध होगी। साथ ही लगभग 41 लाख आबादी को पेयजल की सुगम आपूर्ति होगी।
  • इस परियोजना से 103 मेगावॉट बिजली का उत्पादन होगा, जिसका पूर्ण उपयोग मध्य प्रदेश करेगा। केन-बेतवा लिंक परियोजना से राज्य के 10 ज़िलों की 28 तहसील के 2040 ग्राम लाभांवित होंगे।
  • मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में भू-जल स्तर को बढ़ाने, पेयजल संकट को दूर करने और सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से ‘अटल भू-जल योजना’ प्रारंभ की गई है। लगभग 314 करोड़ 54 लाख रूपए लागत की इस परियोजना में प्रदेश के 6 ज़िलों के 9 विकासखंड के 678 गाँवों में जन-भागीदारी से जल-संवर्धन एवं भू-जल स्तर में सुधार के कार्य किये जा रहे हैं।
  • मध्य प्रदेश के ग्वालियर और चंबल अंचल में सिंचाई एवं पेयजल आपूर्ति के लिये 6,601 करोड़ की ‘श्रीमंत माधवराव सिंधिया नवीन बहुउद्देश्यीय सिंचाई परियोजना’ प्रारंभ की जा रही है। इस परियोजना से प्रदेश के गुना, शिवपुरी और श्योपुर ज़िले में 2 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध होगी और 6 जलाशय का निर्माण होगा। साथ ही सिंचाई, पेयजल, मछली पालन, पर्यटन एवं रोज़गार के अवसर में वृद्धि होगी। क्षेत्र का भू-जल स्तर भी बढ़ेगा।
  • गौरतलब है कि सूक्ष्म सिंचाई पद्धति पर आधारित योजनाओं का निर्माण करने वाला मध्य प्रदेश देश का अग्रणी राज्य है। विभाग की वर्तमान में निर्माणाधीन 55 वृहद् एवं मध्यम सिंचाई परियोजनाओं में आधुनिक दबाव युक्त पाइप आधारित सूक्ष्म सिंचाई पद्धति का उपयोग किया जा रहा है।
  • जल-संसाधन विभाग ने बांध सुरक्षा अधिनियम-2021 के प्रावधानों को लागू करने के लिये विशेषज्ञ समिति का गठन करने वाला मध्य प्रदेश देश का अग्रणी राज्य है। मध्य प्रदेश में ‘डेम सेफ्टी रिव्यू पैनल’ गठित है। पिछले 5 वर्ष में 148 करोड़ रुपए की लागत से 25 बांध की मरम्मत का कार्य किया जा चुका है। आने वाले 5 वर्ष में 27 बांध की सुरक्षा एवं मरम्मत की जाएगी। इसके लिये विश्व बैंक के सहयोग से 551 करोड़ रुपए की स्वीकृति दी जा चुकी है। 
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