पटना में मिला दक्षिण अफ्रीकी वेरिएंट ओमीक्रोन बीए.2 | 11 Jan 2022
चर्चा में क्यों?
हाल ही में बिहार की राजधानी पटना में दक्षिण अफ्रीकी ओमीक्रोन वेरिएंट का जेनेटिक पैटर्न बीए.2 मिला है। यह वेरिएंट संक्रामक है और तेजी से लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है।
प्रमुख बिंदु
- दक्षिण अफ्रीका में इसके प्रसार के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन के वैज्ञानिकों व विशेषज्ञों ने इसे डेल्टा वेरिएंट से सात गुना ज्यादा संक्रामक बताया है। हालाँकि विशेषज्ञों के मुताबिक डेल्टा के मुकाबले यह कम घातक है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार ओमिक्रोन वैरिएंट (पैंगो वंश के मूल बी.1.1.529) में तीन वैरिएंट (बीए.1, बीए.2 और बीए.3) हैं। बीए.2 म्यूटेंट को ‘ओमिक्रोन लाइक’ भी कहा जाता है और इसे पहचानना ज्यादा कठिन है।
- बीए.1 और बीए.3 में स्पाइक प्रोटीन में 69-70 विलोपन है, जबकि बीए.2 में ऐसा नहीं है। इस विलोपन के चलते ये सब-वैरिएंट मौजूदा वैक्सीन को चकमा देने में सफल होते हैं और उनका तेजी से प्रसार होता है।
- जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीओबी) के भारतीय सार्स-सीओवी-2 जीनोमिक्स कंस्टोरियम (इंसाकाग) के विज्ञानियों ने बताया कि इन तीनों सब-वैरिएंट में से भारत में जीनोम सीक्वेंसिंग में बीए.1 और बीए.2 की मौजूदगी ज्यादा मिल रही है। इसमें भी खासकर बीए.1 तेजी से डेल्टा का स्थान ले रहा है और महाराष्ट्र एवं कई अन्य राज्यों में ज्यादातर मामले इसी के मिल रहे हैं। बीए.3 अभी भारत में नहीं मिला है।
- गौरतलब है कि बिहार और भारत में घनी आबादी के कारण इसका संक्रमण बहुत तेजी से फैल रहा है। जिस तेजी से यह संक्रमण फैल रहा है वह एक दिन में संक्रमितों की संख्या मिलने का पिछला सारा रिकॉर्ड तोड़ सकता है।
- वहीं, भारत में अभी इसका प्रसार हाल ही में होने से अब तक घातक स्वरूप सामने नहीं आया है। अब तक मिले संक्रमितों में इसका हल्का लक्षण ही देखने को मिल रहा है। यह संक्रमण फेफड़े की बजाय ज्यादातर मामले में साँस नली से सीधे पेट में जाते दिख रहा है। इसलिये इस बार साँस के गंभीर पीड़ित बहुत कम दिख रहे हैं।
- इससे बचाव के लिये कोरोना मानकों को अपने व्यवहार में शामिल करना ही एकमात्र उपाय है।