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उत्तराखंड में हिम तेंदुए छह साल में बढ़कर 121 हुए

  • 26 Oct 2022
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

23 अक्तूबर, 2022 को विश्व हिम तेंदुआ दिवस के मौके पर उत्तराखंड वन विभाग ने इन्हें लेकर आँकड़े जारी किये। इनके अनुसार राज्य में करीब 121 हिम तेंदुए हैं। 2016 में एक ऑकलन के दौरान इनकी संख्या 86 के आसपास थी।

प्रमुख बिंदु

  • वन विभाग के आँकड़ों के अनुसार उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्रों में हिम तेंदुओं (Snow leopard) का कुनबा बढ़ रहा है, जो कि जैव-विविधता के लिहाज से शुभ संकेत है। स्नो लेपर्ड दुनिया के सबसे खूबसूरत और दुर्लभ जीवों में से एक है। राज्य में लंबे समय से हिम तेंदुओं की गणना और इस दुर्लभ जीव को संरक्षित करने के प्रयास चल रहे थे, इन कोशिशों के सफल नतीजे भी अब देखने को मिले हैं।
  • चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन समीर सिन्हा ने बताया कि राज्य में हिम तेंदुए के लिये उपलब्ध क्षेत्रफल के 12764.35 वर्ग किमी. का सर्वे किया गया है। यह गिनती 2 चरणों में पूरी हुई। इसमें गोविंद राष्ट्रीय उद्यान एवं वन्य जीव विहार, केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग, नंदा देवी बायोस्फियर के उच्च स्थलीय क्षेत्र तथा उत्तराखंड के ट्रांस हिमालयी क्षेत्र शामिल किये गए।
  • इस वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार उत्तराखंड में हिम तेंदुओं की अनुमानित संख्या 121 आँकी गई। हिम तेंदुए राज्य के 3000 मीटर की ऊँचाई वाले हिमालयी क्षेत्र में रहते हैं। कैमरा ट्रैप में हिम तेंदुओं की गतिविधियां अक्सर नज़र आती हैं। उत्तराखंड के उत्तरकाशी की नेलांग वैली में भी हिम तेंदुओं, यानी स्नो लेपर्ड को कई बार देखा गया है।
  • हिम तेंदुआ का वैज्ञानिक नाम पैंथेरा अनकिया (Panthera uncia) है। हिम तेंदुआ खाद्य श्रृंखला में शीर्ष शिकारी के रूप में अपनी स्थिति के कारण पहाड़ के पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य के एक संकेतक के रूप में कार्य करता है।
  • हिम तेंदुए को IUCN की विश्व संरक्षण प्रजातियों की रेड लिस्ट में सूचीबद्ध किया गया है। इसके अलावा यह लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (CITES) के परिशिष्ट-I में भी सूचीबद्ध है। यह भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची-I में सूचीबद्ध है।
  • भारत सरकार ने हिम तेंदुए की पहचान उच्च हिमालय की एक प्रमुख प्रजाति के रूप में की है। भारत वर्ष 2013 से वैश्विक हिम तेंदुआ एवं पारिस्थितिकी तंत्र संरक्षण (GSLEP) कार्यक्रम का हिस्सा है।
  • अक्तूबर 2020 में हिम तेंदुओं की रक्षा के लिये ‘हिमालय संरक्षक’नामक एक सामुदायिक स्वयंसेवक कार्यक्रम शुरू किया गया था।
  • वर्ष 2019 में ‘स्नो लेपर्ड पॉपुलेशन असेसमेंट’पर फर्स्ट नेशनल प्रोटोकॉल भी लॉन्च किया गया, जो इसकी आबादी की निगरानी के लिये बहुत उपयोगी है।
  • वर्ष 2009 में हिम तेंदुओं और उनके निवास स्थान के संरक्षण के लिये एक समावेशी एवं सहभागी दृष्टिकोण को बढ़ावा देने हेतु ‘हिम तेंदुआ परियोजना’शुरू की गई थी।
  • हिम तेंदुआ संरक्षण प्रजनन कार्यक्रम पँजा नायडू हिमालयन जूलॉजिकल पार्क, दार्जिलिंग, पश्चिम बंगाल में शुरू किया गया है।
  • उल्लेखनीय है कि मध्य एशिया के पहाड़ी परिदृश्य में हिम तेंदुआ का एक विशाल, लेकिन खंडित वितरण है, जो हिमालय के विभिन्न हिस्सों, जैसे- लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और सिक्किम को कवर करता है।
  • हिम तेंदुए उन ऊँचे पहाड़ी इलाकों में रहते हैं, जो 18,000 फीट की ऊँचाई पर हैं, ज़्यादातर इस तरह के क्षेत्र हिमालय में हैं। चीन और मंगोलिया में हिम तेंदुओं की संख्या सबसे अधिक है। वे नेपाल, भारत, पाकिस्तान और रूस में भी पाए जाते हैं।
  • गौरतलब है कि 23 अक्तूबर, 2013 को हिम तेंदुए के संरक्षण पर पहले वैश्विक मंच के दौरान बिश्केक घोषणा को अपनाया गया था। फोरम किर्गिजस्तान की राजधानी बिश्केक में आयोजित किया गया था। वर्ष 2014 में, बिश्केक घोषणा की एक साल की सालगिरह मनाने के लिये, मंच पर मौजूद बारह देशों ने 23 अक्तूबर को अंतर्राष्ट्रीय हिम तेंदुआ दिवस घोषित किया।
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