इंदौर शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 11 नवंबर से शुरू   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

State PCS Current Affairs


झारखंड

श्री सम्मेद शिखरजी को ईको टूरिज़्म ज़ोन एवं पर्यटन से हटाया गया

  • 07 Jan 2023
  • 7 min read

चर्चा में क्यों?

5 जनवरी, 2023 को केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने झारखंड के गिरिडीह ज़िले में स्थित श्री सम्मेद शिखरजी पर्वत क्षेत्र से जुड़े पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र को अधिसूचना की धारा 3 के प्रावधानों और अन्य सभी पर्यटन और ईको-पर्यटन गतिविधियों को लागू करने पर तत्काल रोक रोक लगा दी है।

प्रमुख बिंदु 

  • विदित है कि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेश यादव को इस संबंध में पत्र लिखा था। सीएम ने पत्र के माध्यम से कहा था कि पारसनाथ सम्मेद शिखर पौराणिक काल से ही जैन समुदाय का विश्व प्रसिद्ध पवित्र एवं पूजनीय तीर्थ स्थल रहा है। मान्यता के अनुसार जैन धर्म के कुल 24 तीर्थंकरों में से 20 तीर्थंकरों ने इसी स्थान पर निर्वाण प्राप्त किया है।
  • उल्लेखनीय है कि केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को पिछले कुछ दिनों में पारसनाथ वन्यजीव अभयारण्य में होने वाली कुछ गतिविधियों के बारे में जैन समाज का प्रतिनिधित्व करने वाले विभिन्न संगठनों से कई ज्ञापन प्राप्त हुए हैं, जिससे जैन धर्म के अनुयायियों की भावनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।
  • इन शिकायतों में झारखंड सरकार द्वारा पारसनाथ वन्यजीव अभयारण्य के पर्यावरण संवेदनशील क्षेत्र की अधिसूचना के प्रावधानों का दोषपूर्ण कार्यान्वयन का उल्लेख है और कहा गया है कि राज्य सरकार की इस तरह की लापरवाही से उनकी भावनाओं को ठेस पहुँची है।
  • इस संबंध में केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने इस पूरे मुद्दे और संभावित समाधान पर चर्चा करने के लिये जैन समुदाय के विभिन्न प्रतिनिधियों को आमंत्रित कर उनके साथ एक बैठक की थी। प्रतिनिधि बड़ी संख्या में आए और उन्होंने सम्मेद शिखरजी की वर्तमान स्थिति और स्थान की पवित्रता बनाए रखने के लिये समुदाय की मांगों के बारे में बात की।
  • प्रतिनिधियों को अवगत कराया गया कि पारसनाथ डब्ल्यूएल अभयारण्य की स्थापना तत्कालीन बिहार सरकार द्वारा 1984 में वन्यजीव संरक्षण कानून, 1972 के प्रावधानों के तहत की गई थी, जबकि पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र (ईएसजैड) को पर्यावरण (संरक्षण) कानून, 1986 के प्रावधानों के तहत भारत सरकार ने झारखंड की सरकार के साथ परामर्श से 2019 में अधिसूचित किया था।
  • पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र संरक्षित क्षेत्रों के आसपास की गतिविधियों को प्रतिबंधित, नियंत्रित और बढ़ावा देकर संरक्षित क्षेत्रों के लिये एक प्रकार का ‘शॉक एब्जॉर्बर’ के रूप में कार्य किया जाता है।
  • ईएसजैड अधिसूचना का उद्देश्य अनियंत्रित पर्यटन को बढ़ावा देना नहीं है, और निश्चित रूप से अभयारण्य की सीमा के भीतर हर प्रकार की विकास गतिविधियों को बढ़ावा देना नहीं है। ईएसजैड की घोषणा वास्तव में अभयारण्य के आसपास और इसलिये, इसकी सीमा के बाहर गतिविधियों को प्रतिबंधित करने के लिये है।
  • पारसनाथ डब्ल्यूएल अभयारण्य की प्रबंध योजना में पर्याप्त प्रावधान हैं जो जैन समुदाय की भावनाओं को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करने वाली गतिविधियों को प्रतिबंधित करते हैं, भारत सरकार जैन समुदाय की भावनाओं को देखते हुए समग्र रूप से निगरानी समिति को किसी भी समस्या का समाधान करने के लिये दिशा निर्देश जारी कर सकती है।
  • केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने विशेष रूप से उल्लेख किया कि मंत्रालय स्थापित तथ्य को स्वीकार करता है कि सम्मेद शिखरजी पर्वत क्षेत्र न केवल जैन समुदाय के लिये बल्कि पूरे देश के लिये एक पवित्र जैन धार्मिक स्थान है और मंत्रालय इसकी पवित्रता बनाए रखने के लिये प्रतिबद्ध है।
  • बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि झारखंड की सरकार को पारसनाथ वन्यजीव अभयारण्य की प्रबंध योजना के महत्त्वपूर्ण प्रावधानों को सख्ती से लागू करने का निर्देश दिया जाए, जो विशेष रूप से वनस्पतियों या जीवों को नुकसान पहुँचाने, पालतू जानवरों के साथ आने, तेज संगीत बजाने या लाउडस्पीकरों का उपयोग करने, स्थलों या धार्मिक और सांस्कृतिक महत्त्व के स्थानों जैसे पवित्र स्मारक, झीलों, चट्टानों, गुफाओं और मंदिरों को गंदा करने; और शराब, ड्रग्स और अन्य नशीले पदार्थों की बिक्री; पारसनाथ पहाड़ी पर अनधिकृत शिविर और ट्रेकिंग आदि को प्रतिबंधित करता है।
  • झारखंड सरकार को निर्देशित किया गया है इन प्रावधानों का कड़ाई से पालन करे। राज्य सरकार को पारसनाथ पहाड़ी पर शराब और माँसाहारी खाद्य पदार्थों की बिक्री और खपत पर प्रतिबंध को सख्ती से लागू करने का निर्देश दिया गया है।
  • इसके अलावा, पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 की धारा 3 की उप-धारा (3) के तहत उपरोक्त पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र अधिसूचना के प्रावधानों की प्रभावी निगरानी के लिये, केंद्र सरकार ने इस अधिसूचना की धारा 5 के तहत एक निगरानी समिति का गठन किया है।
  • राज्य सरकार को निर्देश दिया गया है कि जैन समुदाय से दो सदस्य और स्थानीय आदिवासी समुदाय से एक सदस्य को इस निगरानी समिति में स्थायी आमंत्रित के रूप में रखा जाए, जिससे महत्त्वपूर्ण हितधारकों द्वारा उचित भागीदारी और निरीक्षण किया जा सके।  
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2