अजमेर दरगाह में शिव मंदिर | 30 Nov 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में अजमेर की एक स्थानीय अदालत ने सूफी संत मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के भीतर शिव मंदिर की मौजूदगी का दावा करने वाले एक दीवानी मुकदमे के संबंध में तीन पक्षों को नोटिस जारी करने का आदेश दिया।
मुख्य बिंदु
- सितंबर 2024 में दायर इस मुकदमे में दरगाह के भीतर एक शिव मंदिर के अस्तित्व का दावा किया गया है और मंदिर में पूजा फिर से शुरू करने के निर्देश देने की मांग की गई है।
- अजमेर दरगाह समिति, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय और नई दिल्ली स्थित भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगा गया है।
- ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती:
- मोइनुद्दीन हसन चिश्ती का जन्म 1141-42 ई. में ईरान के सिजिस्तान (आधुनिक सिस्तान) में हुआ था।
- मुइज़ुद्दीन मुहम्मद बिन साम गौर ने तराइन के दूसरे युद्ध (1192) में पृथ्वीराज चौहान को पराजित कर दिया था और दिल्ली में अपना शासन स्थापित कर लिया था, उसके बाद ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती ने अजमेर में रहना और उपदेश देना शुरू कर दिया था।
- आध्यात्मिक अंतर्दृष्टि से परिपूर्ण उनके शिक्षाप्रद प्रवचनों ने जल्द ही स्थानीय जनता के साथ-साथ दूर-दूर से राजाओं, कुलीनों, किसानों और गरीबों को भी अपनी ओर आकर्षित किया।
- अजमेर स्थित उनकी दरगाह पर मुहम्मद बिन तुगलक, शेरशाह सूरी, अकबर, जहांगीर, शाहजहाँ, दारा शिकोह और औरंगजेब जैसे शासकों ने जियारत की।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI)
- संस्कृति मंत्रालय के अधीन ASI, देश की सांस्कृतिक विरासत के पुरातात्विक अनुसंधान और संरक्षण के लिये प्रमुख संगठन है।
- प्राचीन स्मारक तथा पुरातत्व स्थल और अवशेष (AMASR) अधिनियम, 1958 ASI के कामकाज को नियंत्रित करता है।
- यह राष्ट्रीय महत्त्व के 3650 से अधिक प्राचीन स्मारकों, पुरातात्विक स्थलों और अवशेषों का प्रबंधन करता है।
- इसकी गतिविधियों में पुरातात्त्विक अवशेषों का सर्वेक्षण, पुरातात्विक स्थलों की खोज और उत्खनन, संरक्षित स्मारकों का संरक्षण और रखरखाव आदि शामिल हैं।
- इसकी स्थापना 1861 में ASI के पहले महानिदेशक अलेक्जेंडर कनिंघम ने की थी। अलेक्जेंडर कनिंघम को “भारतीय पुरातत्व के जनक” के रूप में भी जाना जाता है।