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राजस्थान

लोक संस्कृति के अनूठे पर्व ‘शिल्पग्राम’ उत्सव का हुआ आगाज

  • 22 Dec 2022
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

21 दिसंबर, 2022 को राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने राज्य की झीलों की नगरी नाम से मशहूर उदयपुर में लोक संस्कृति के अनूठे पर्व ‘शिल्पग्राम उत्सव’ का शुभारंभ किया।

प्रमुख बिंदु 

  • कार्यक्रम के आरंभ में राज्यपाल ने संगम सभागार में पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र द्वारा बेणेश्वर धाम के संत मावजी महाराज के चोपड़ों में समाहित चित्रों का छायांकन कर प्रलेखन किए गये चित्रों की प्रदर्शनी का शुभारंभ किया।
  • राज्यपाल ने बताया कि उदयपुर का यह शिल्पग्राम देशभर में विख्यात है। यहाँ पर राजस्थान, गोवा, गुजरात और महाराष्ट्र की ग्रामीण और स्वदेशी संस्कृति एक साथ अनुभूत की जा सकती है। इन सभी राज्यों के विभिन्न जातीय समुदायों की संस्कृति, उनकी जीवनशैली और परंपराओं को यहाँ झोपड़ियों में दर्शाया गया है।
  • शिल्पग्राम उत्सव में 400 शिल्पकार और 700 लोक कलाकार भाग ले रहे हैं। शिल्पग्राम में बेणेश्वर धाम के संत मावजी महाराज के चोपड़ों में समाहित चित्रों का छायांकन कर प्रलेखन किया गया है, जो देश की धरोहर है।
  • राज्यपाल कलराज मिश्र ने जयपुर के तमाशा कलाकार व रंगकर्मी दिलिप कुमार भट्ट तथा अहमदाबाद के संस्कृति कर्मी तथा जनजाति कला के उन्नयन में उल्लेखनीय कार्य करने वाले डॉ. भगवान दास पटेल को पद्मभूषण डॉ. कोमल कोठारी स्मृति लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार प्रदान किया।
  • शिल्पग्राम उत्सव के उद्घाटन अवसर पर मुख्य रंगमंच पर ‘समागम’के आयोजन के अंतर्गत 9 राज्यों के सवा दो सौ कलाकारों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया। कार्यक्रम की शुरूआत प्रोलोग से हुई जिसमें दीपों से उत्सव का प्रकाश फैलाया। इसके बाद पश्चिम बंगाल के श्रीखोल नृत्य से कार्यक्रम की शुरूआत हुई। इसके बाद जम्मू कश्मीर रॉफ, असम का बोडई शिखला, उड़ीसा को गोटीपुआ, महाराष्ट्र का लावणी, गोवा का समई, झारखंड का छऊ गुजरात का डांग और पंजाब के भांगड़े की प्रस्तुतियाँ सम्मोहक रहीं।
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