नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

State PCS Current Affairs


उत्तर प्रदेश

सत्र न्यायालय मजिस्ट्रेट के समन आदेश को रद्द नहीं कर सकता है : उच्च न्यायालय

  • 15 Jun 2022
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि सत्र न्यायालय पुनरीक्षण शक्ति का प्रयोग करते हुए मजिस्ट्रेट द्वारा पारित संज्ञान और समन आदेश को रद्द नहीं कर सकता है।

प्रमुख बिंदु

  • यह आदेश न्यायमूर्ति शमीम अहमद की पीठ ने प्रभाकर पांडेय की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया।
  • हाईकोर्ट ने कहा कि सत्र न्यायालय का पुनरीक्षण क्षेत्राधिकार बहुत सीमित है। यदि सत्र न्यायालय को पुनरीक्षण न्यायालय के रूप में कार्य करते समय कोई अनियमितता या क्षेत्राधिकार में त्रुटि मिलती है तो कार्यवाही को रद्द करने की बजाय उसे केवल मजिस्ट्रेट के आदेश में त्रुटि को इंगित करके निर्देश जारी करने की शक्ति है।
  • मामले में शिकायतकर्त्ता द्वारा विरोधी पक्ष के खिलाफ आईपीसी की धारा- 147, 504, 506, 427, 448, 379 के तहत एफआईआर दर्ज कराई गई थी। मामले में जाँच अधिकारी ने एक रिपोर्ट प्रस्तुत की। इसके बाद मजिस्ट्रेट ने विरोध याचिका पर विचार करने और मामले के रिकॉर्ड को देखने के बाद आरोपी को धारा-379 सीआरपीसी के तहत तलब किया।
  • इस आदेश को ज़िला एवं सत्र न्यायाधीश कन्नौज के समक्ष चुनौती दी गई। सत्र न्यायालय ने जाँच अधिकारी द्वारा प्रस्तुत अंतिम रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया और मजिस्ट्रेट के समन आदेश को रद्द कर दिया। इसलिये याची ने ज़िला एवं सत्र न्यायाधीश कन्नौज के आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की।
  • हाईकोर्ट ने कहा कि आरोप-पत्र दाखिल होने के बाद मजिस्ट्रेट के पास चार तरीके होंगे और उनमें से किसी एक को वह आगे की कार्रवाई के लिये अपना सकता है। कोर्ट ने आदेश में उन तरीकों का भी ज़िक्र किया है। साथ ही, कहा कि मामले में सत्र न्यायालय का आदेश पूरी तरह से आरोपी की दलील पर आधारित था, इसलिये मजिस्ट्रेट के समन आदेश को रद्द करना विधिक तौर पर सही नहीं है।
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow