छत्तीसगढ़
वैज्ञानिकों ने छत्तीसगढ़ की धान की छह प्रजातियों के म्यूटेंट में किया बदलाव
- 08 Nov 2022
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चर्चा में क्यों?
6 नवंबर, 2022 को भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर के पब्लिक अवेयरनेस डिवीजन के अध्यक्ष डॉक्टर आरके वत्स ने बताया कि सेंटर के वैज्ञानिकों ने छत्तीसगढ़ में पाई जाने वाली धान की छह प्रजातियों के म्यूटेंट में बदलाव कर पौधों की ऊँचाई कम कर दी है। ऐसे में बरसात, ओलावृष्टि और आंधी का फसलों पर खास असर नहीं पड़ेगा।
प्रमुख बिंदु
- विदित है कि देहरादून के उत्तरांचल विवि में आयोजित आकाश तत्त्व सम्मेलन में भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर के वैज्ञानिकों की ओर से धान की नई प्रजातियों की प्रदर्शनी लगाई गई है। पहले चरण में संस्थान के वैज्ञानिकों ने छत्तीसगढ़ में पाई जाने वाली धान की छह प्रजातियों के म्यूटेंट में बदलाव किया है।
- इसी प्रकार वैज्ञानिकों ने मूंग की आठ प्रजातियों के म्यूटेंट में भी बदलाव कर नई प्रजातियाँ बनाई हैं।
- छत्तीसगढ़ सरकार के अनुरोध पर जिन प्रजातियों का म्यूटेंट बदलकर नई प्रजातियाँ विकसित की गई हैं, उनमें सीजी जवाफूल, टीकेआर कोलम, ट्रॉम्बे छत्तीसगढ़ सोनागाक्षी म्यूटेंट (टीसीबीएम), ट्रांबे छत्तीसगढ़ दूबराज म्यूटेंट (टीसीडीएम) विक्रम टीसीआर, ट्रांबे छत्तीसगढ़ विष्णुभोग म्यूटेंट (टीसीवीएम) शामिल हैं।
- सेंटर के वैज्ञानिक डॉ. आरके वत्स के मुताबिक, गामा रेडिएशन के ज़रिये धान की प्रजातियों के म्यूटेंट में बदलाव किया गया है। इसके बाद नई प्रजाति के धान को विकसित किया गया, जो पहले वाले की तुलना में अलग है।
- गौरतलब है कि देश में धान की करीब 40 हज़ार प्रजातियाँ पाई जाती हैं। इनमें सबसे अधिक 23230 प्रजातियाँ धान का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ में पाई जाती हैं।