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राजस्थान

बाल विवाह को समाप्त करने के लिये सर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देश

  • 06 Nov 2024
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में बाल विवाह के पूर्ण उन्मूलन के लिये जारी किये गए सर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देशों से राजस्थान में नागरिक समाज समूहों को महत्त्वपूर्ण बढ़ावा मिला है।

मुख्य बिंदु

  • राजस्थान में बाल विवाह का प्रचलन:
  • 2030 तक बाल विवाह उन्मूलन के लिये सामूहिक प्रयास:
    • सर्वोच्च न्यायालय के नए दिशा-निर्देशों से उत्साहित होकर, एक गैर-सरकारी संगठन, जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन अलायंस (JRCA) ने ज़मीनी स्तर पर प्रयास तीव्र करने का संकल्प लिया है। 
    • उनका लक्ष्य गाँवों में जागरूकता बढ़ाने सहित सामूहिक कार्रवाई के माध्यम से वर्ष 2030 तक राजस्थान में बाल विवाह को समाप्त करना है।
  • सर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देश: 
    • न्यायालय ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह गाँव के नेताओं को सूचित और संवेदनशील बनाए तथा इस बात पर ज़ोर दे कि यदि वे अपने समुदायों में बाल विवाह रोकने में विफल रहते हैं तो उनकी जवाबदेही होगी।
    • सर्वोच्च न्यायालय के दिशानिर्देश बाल विवाह रोकने के लिये  ग्राम पंचायतों, स्कूल प्राधिकारियों और बाल संरक्षण अधिकारियों पर जवाबदेही डालते हैं।
    • न्यायालय ने बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिये “रोकथाम, संरक्षण और अभियोजन” मॉडल अपनाने की सलाह दी।
    • वर्ष 2024 में, राजस्थान उच्च न्यायालय ने आदेश दिया कि राजस्थान पंचायती राज नियम, 1996 के तहत ग्राम सरपंच बाल विवाह रोकने के लिये ज़िम्मेदार होंगे। 

बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006

  • यह कानून कुछ कार्यों को दंडनीय बनाकर तथा बाल विवाह की रोकथाम और निषेध के लिये ज़िम्मेदार कुछ प्राधिकारियों की नियुक्ति करके बाल विवाह को रोकने का प्रयास करता है।
  • अधिनियम के अंतर्गत परिभाषाएँ:
    • "बालक" का तात्पर्य ऐसे व्यक्ति से है जो, यदि पुरुष है, तो इक्कीस वर्ष की आयु पूरी नहीं की है, और यदि महिला है, तो अठारह वर्ष की आयु पूरी नहीं की है।
    • "बाल विवाह" से तात्पर्य ऐसे विवाह से है जिसमें अनुबंध करने वाले पक्षों में से कोई एक बच्चा हो।
    • "नाबालिग" का अर्थ है वह व्यक्ति जो वयस्कता अधिनियम, 1875 के प्रावधानों के तहत वयस्कता प्राप्त नहीं किया है। वयस्कता अधिनियम, 1875 के अनुसार, भारत में निवास करने वाला प्रत्येक व्यक्ति अठारह वर्ष की आयु पूरी करने पर वयस्कता प्राप्त करता है।
    • बाल विवाह एक ऐसा अपराध है जिसके लिये कठोर कारावास की सज़ा दी जा सकती है, जो 2 वर्ष तक हो सकती है या 1 लाख रुपए तक का ज़ुर्माना या दोनों हो सकते हैं। अधिनियम के तहत अपराध संज्ञेय और गैर-ज़मानती हैं।
  • इस कानून के तहत जिन व्यक्तियों को दंडित किया जा सकता है उनमें शामिल हैं:
    • जो कोई भी बाल विवाह संपन्न कराता है, उसका संचालन करता है, निर्देश देता है या उसे बढ़ावा देता है।
    • 18 वर्ष से अधिक आयु का कोई वयस्क पुरुष किसी बालिका से विवाह करता है (धारा 9)।
    • बच्चे की देखभाल करने वाला कोई भी व्यक्ति, जिसमें माता-पिता या अभिभावक, किसी संगठन या एसोसिएशन का सदस्य शामिल है, जो बाल विवाह को बढ़ावा देता है, अनुमति देता है या उसमें भाग लेता है।

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