मुख्यमंत्री ने पुस्तक ‘सावरकर-एक भूले-बिसरे अतीत की गूंज’ का विमोचन किया | 04 Oct 2021
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने सरकारी आवास पर विक्रम संपत की लिखी पुस्तक ‘सावरकर-एक भूले-बिसरे अतीत की गूंज’ (Savarkar: Echoes from a Forgotten Past) का विमोचन किया।
प्रमुख बिंदु
- इस पुस्तक में संपत ने अथक् परिश्रम कर दुनिया के विभिन्न देशों में जाकर शोध और तथ्यपरक दस्तावेज़ों के आधार पर गंभीर अध्येता के रूप में वीर सावरकर के व्यक्तित्व व कृतित्व को प्रदर्शित करने का अभिनव प्रयास किया है।
- इस पुस्तक में वीर सावरकर की जीवनी को तथ्यों और दस्तावेज़ों के आलोक में प्रकाशित किया गया है।
- उल्लेखनीय है कि वीर सावरकर बहुआयामी प्रतिभा और व्यक्तित्व के धनी थे। उन्होंने स्वाधीनता आंदोलन में अग्रणी रहने के साथ-साथ पत्रकारिता, दर्शन, साहित्य, इतिहास, अस्पृश्यता निवारण, समाज सुधार और वैज्ञानिक दृष्टिकोण का प्रचार-प्रसार करने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।
- देश की स्वतंत्र कराने के लिये वीर सावरकर अंडमान की सेल्युलर जेल की कोठरी में वर्षों तक रहे। उन्हें दो बार आजन्म कारावास की सज़ा हुई। इस दौरान वीर सावरकर ने कभी नाखूनों को बढ़ाकर, कभी कीलों-कांटों से अथवा बर्तनों को घिस-घिस कर उनकी नोकों से कोठरी की चारों दीवारों पर साहित्यिक रचनाएँ उकेरनी आरंभ कीं।
- वीर सावरकर ने अपनी पुस्तक ‘1857 का स्वातंत्र्य समर’ में सन् 1857 की शौर्यगाथा को देश के स्वाधीनता संघर्ष का प्रथम प्रयास बताया था। इस पुस्तक ने अनेक क्रांतिकारियों और युवाओं को राष्ट्र के प्रति अपना सर्वस्व न्योछावर करने की प्रेरणा दी थी।