उज्जैन में खुलेगा आईआईटी इंदौर का सेटेलाइट कैंपस | 29 Dec 2021
चर्चा में क्यों?
28 दिसंबर, 2021 को मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि प्राचीन वैभवशाली ज्ञान परंपरा के अनुरूप उज्जैन को प्रौद्योगिकी और ज्ञान-विज्ञान के एक प्रमुख शिक्षण केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में उज्जैन में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) इंदौर का सेटेलाइट कैंपस खोला जाएगा।
प्रमुख बिंदु
- 100 एकड़ भूमि पर स्थापित यह कैंपस अंतर्राष्ट्रीय स्तर के शोध केंद्र और मानकों के अनुरूप उच्च शिक्षा प्रदान करेगा। अपनी तरह का यह देश का पहला शिक्षण संस्थान होगा। रोजगार और स्व-रोजगार के प्रोत्साहन में भी यह कैंपस महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा।
- उच्च शिक्षा मंत्री ने बताया कि यह कैंपस हर दृष्टि प्रशासनिक, अकादमिक निर्णय के लिये स्वतंत्र होगा। कैंपस में छात्रावास और शिक्षकों के लिये आवास भी होंगे। यहाँ अंतर्राष्ट्रीय स्तर की शोध सुविधाएँ एवं पाठ्यक्रम संचालित किये जाएंगे। प्रारंभिक चरण में चार राष्ट्रीय स्तर के शिक्षण केंद्र और इंडस्ट्रियल रिसर्च पार्क खोले जाने का प्रस्ताव भी है।
- डॉ. यादव ने बताया कि यह रिसर्च पार्क इंदौर-उज्जैन और आस-पास के सभी क्षेत्रों की औद्योगिक इकाई को शोध कार्य में मदद करेगा। साथ ही स्टार्ट-अप को प्रोत्साहित करेगा। इसे टेक्नोलॉजी इनोवेशन हब के रूप में स्थापित किया जाएगा, जिसमें 100-150 अधिक कंपनियों को जोड़ा जाएगा। अभी आईआईटी चेन्नई और मुंबई में ऐसे ही रिसर्च पार्क कार्य कर रहे हैं।
- मालवा क्षेत्र में रोज़गार और स्व-रोज़गार निर्माण की दिशा में इंडस्ट्रियल रिसर्च पार्क की अहम भूमिका होगी। स्पोर्ट्स साइंस में स्पोर्ट्स में उपयोग की जाने वाली डिवाइसेज़ और इक्विपमेंट पर भी यहाँ रिसर्च करना प्रस्तावित है।
- उन्होंने बताया कि जल संसाधन प्रबंधन के लिये यह एक महत्त्वपूर्ण केंद्र होगा। जहाँ जल के संबंध में शैक्षणिक गतिविधियों के साथ जल संसाधन पर शोध कार्य किया जाएगा। वॉटर मैनेजमेंट पर आधारित पाठ्यक्रम भी संचालित किये जाएंगे। मध्य प्रदेश में वॉटर कंजर्वेशन तकनीक को बढ़ाने और जल से संबंधित शैक्षणिक कार्यक्रमों को तैयार करने में केंद्र यह मदद करेगा।
- मंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि विश्व की श्रेष्ठतम भारतीय काल गणना और कैलेंडर सिस्टम का केंद्र स्थान उज्जैन रहा है। काल गणना और खगोलीय विज्ञान में उज्जैन के महत्त्व को दृष्टिगत रखते हुए यह सेंटर स्थापित किया जा रहा है। यहाँ स्पेस टेक्नोलॉजी, स्पेस इंजीनियरिंग और एस्ट्रो फिजिक्स के पाठ्यक्रम के साथ रिसर्च और प्रयोगशाला भी स्थापित होगी।
- भारतीय ज्ञान परंपरा पर केंद्रित यह केंद्र राष्ट्रीय शिक्षा नीति में देश का मॉडल बनेगा, जिसमें कृषि, ज्ञान परंपरा, हॉलिस्टिक मेडिसिन, प्राचीन ज्ञान को संरक्षित करने जैसे विषयों पर शोध होंगे।
- सेंटर में डिजिटल ह्युमेनीटीज, एनवायर्नमेंटल ह्युमेनीटीज, डेवलपमेंट स्टडीज पर नेशनल रिसर्च सेंटर और सभी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों के लिये ह्युमेनीटीज और सोशल साइंस एजुकेशन पर राष्ट्रीय स्तर का प्रशिक्षण केंद्र खोला जाएगा।