आज़ादी की ‘गुमनाम नायिका’ सरस्वती राजामणि पर 10 साल की बेटियों ने लिखी पुस्तक | 16 Aug 2022
चर्चा में क्यों?
13 अगस्त, 2022 को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 10 साल की दो बेटियों देवयानी और शिवरंजनी के साथ पौध-रोपण कर उनके द्वारा लिखी गई पुस्तक ‘सरस्वती राजामणि- एक भूली-बिसरी जासूस’ का विमोचन किया।
प्रमुख बिंदु
- ‘आज़ादी के अमृत महोत्सव’में देवयानी और शिवरंजनी अपनी पुस्तक के जरिये भारत की सबसे कम उम्र की महिला जासूस सरस्वती राजामणि से परिचय करा रही हैं। देवयानी और शिवरंजनी जुड़वाँ बहनें हैं।
- इन्होंने महज 10 साल की उम्र में आज़ाद हिन्द फौज की जासूस सरस्वती राजामणि पर सचित्र पुस्तक लिखी है। देवयानी और शिवरंजनी का कहना है ‘इस वक्त जब देश आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, हमें उन लोगों को भी याद करना चाहिये, जिनके बारे में ज्यादा लिखा-पढ़ा नहीं गया है, जो हमारे गुमनाम नायक/नायिका हैं, स्वतंत्रता दिलाने में जिनका महत्त्वपूर्ण योगदान है, लेकिन हमें उसकी जानकारी नहीं है।
- उल्लेखनीय है कि साल 2021 में इन बच्चियों की पहली पुस्तक ‘सूर्य नमस्कार’प्रकाशित हो चुकी है, जिसे देश के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सराहा था।
- सरस्वती राजामणि आज़ाद हिन्द फौज की जासूस और बेहद कम उम्र की गुमनाम क्रांतिकारी थी। उन्होंने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को बहुत प्रभावित किया था।
- सरस्वती राजामणि का जन्म बर्मा के एक संपन्न और देशभक्त परिवार में हुआ था। वे जब 16 साल की थीं, तब नेताजी सुभाष चंद्र बोस के भाषण से इतनी प्रभावित हुईं कि अपने सारे गहने आज़ाद हिन्द फौज को दान कर दिये थे।
- राजामणि का हौसला और जज्बा देखकर नेताजी ने उन्हें फौज का हिस्सा बना लिया। राजामणि ने अपनी दोस्त दुर्गा के साथ मिलकर ब्रिटिश कैंप की जासूसी की और कई महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ आज़ाद हिन्द फौज को दीं। इस दौरान कई अवसरों पर उन्होंने अपनी वीरता का परिचय दिया लेकिन वह अपने ही देश में सम्मान न पा सकीं।
- देवयानी और शिवरंजनी कहती हैं कि एक युवा भारतीय को सरस्वती राजामणि का जीवन देशभक्ति, समर्पण, बहादुरी, वफादारी और बिना किसी डर के अपने सपनों को साकार करने की प्रेरणा देता है।