उत्तर प्रदेश
संभल मस्जिद मामला
- 09 Jan 2025
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने संभल में शाही जामा मस्जिद समिति द्वारा एक ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका के संबंध में केंद्र और राज्य सरकारों, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) और स्थानीय अधिकारियों से जवाब मांगा।
मुख्य बिंदु
- सर्वोच्च न्यायालय का स्थगन:
- निचले न्यायालय ने एक अधिवक्ता आयुक्त को शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया था, जबकि एक मुकदमे में दावा किया गया था कि मस्जिद का निर्माण एक मंदिर को नष्ट करके किया गया था।
- नवंबर 2024 में सर्वोच्च न्यायालय ने ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगा दी और निर्देश दिया कि जब तक इलाहाबाद उच्च न्यायालय में सर्वेक्षण आदेश के विरुद्ध याचिका पर विचार नहीं हो जाता, तब तक मामले की सुनवाई नहीं की जानी चाहिये।
- सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी आदेश दिया कि किसी भी पूजा स्थल के सर्वेक्षण की मांग करने वाले किसी भी नए मुकदमे पर अगले आदेश तक विचार नहीं किया जाना चाहिये।
- सर्वेक्षण और टकराव:
- वर्ष 2024 में, स्थानीय न्यायालय ने मुगलकालीन मस्जिद का सर्वेक्षण करने का आदेश दिया, एक याचिका के बाद जिसमें दावा किया गया था कि मस्जिद का निर्माण 1526 में भगवान विष्णु के अंतिम अवतार कल्कि को समर्पित एक मंदिर को ध्वस्त करने के बाद किया गया था।
- इस मुकदमे में आठ वादियों ने मस्जिद तक पहुंच के अधिकार की मांग की थी।
- सर्वेक्षण के विरुद्ध पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प के बाद 24 नवंबर, 2024 को संभल में हिंसा भड़क उठी, जिसके परिणामस्वरूप पाँच लोगों की मौत हो गई और कई घायल हो गए।
जामा मस्जिद का ऐतिहासिक संदर्भ
- संभल की जामा मस्जिद बाबर के शासनकाल (1526-1530) के दौरान बनाई गई तीन मस्जिदों में से एक है। अन्य मस्जिदों में पानीपत की मस्जिद और अब ध्वस्त हो चुकी बाबरी मस्जिद शामिल हैं।
- इतिहासकार हॉवर्ड क्रेन ने अपनी कृति, द पैट्रोनेज ऑफ बाबर एंड द ऑरिजिंस ऑफ मुगल आर्किटेक्चर में मस्जिद की स्थापत्य कला की विशेषताओं का वर्णन किया है।
- क्रेन ने एक फ़ारसी शिलालेख का उल्लेख किया जिसमें कहा गया है कि बाबर ने अपने सूबेदार जहाँगीर कुली खान के माध्यम से दिसंबर 1526 में मस्जिद के निर्माण का आदेश दिया था।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI)
- संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत ASI, देश की सांस्कृतिक विरासत के पुरातात्विक अनुसंधान और संरक्षण के लिये प्रमुख संगठन है।
- प्राचीन स्मारक तथा पुरातत्व स्थल और अवशेष (AMASR) अधिनियम, 1958 ASI के कामकाज को नियंत्रित करता है।
- यह राष्ट्रीय महत्त्व के 3650 से अधिक प्राचीन स्मारकों, पुरातात्विक स्थलों और अवशेषों का प्रबंधन करता है।
- इसकी गतिविधियों में पुरातात्त्विक अवशेषों का सर्वेक्षण, पुरातात्विक स्थलों की खोज और उत्खनन, संरक्षित स्मारकों का संरक्षण और रखरखाव आदि शामिल हैं।
- इसकी स्थापना 1861 में ASI के पहले महानिदेशक अलेक्जेंडर कनिंघम ने की थी। अलेक्जेंडर कनिंघम को “भारतीय पुरातत्व के जनक” के रूप में भी जाना जाता है।