छत्तीसगढ़ में समाधि स्मृति महोत्सव | 08 Feb 2025
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय गृहमंत्री ने छत्तीसगढ़ के राजनांदगाँव में श्री विद्यासागर जी महाराज के पहले समाधि स्मृति महोत्सव को संबोधित किया।
मुख्य बिंदु
- महोत्सव को संबोधित करते हुए:
- उन्होंने श्री 1008 सिद्धचक्र विधान विश्व शांति महायज्ञ में भी भाग लिया।
- कार्यक्रम के दौरान मंत्री ने जारी किया:
- 100 रुपए का स्मारक सिक्का
- 5 रुपए का विशेष डाक लिफाफा
- आचार्य श्री विद्यासागर जी के 108 चरण चिह्न एवं चित्र
- प्रस्तावित समाधि स्मारक 'विद्यायतन' की आधारशिला रखी
- शिक्षा और सामाजिक विकास पहल:
- मंत्री ने मध्य प्रदेश के डिंडोरी ज़िले में एक बालिका विद्यालय की आधारशिला रखने की घोषणा की, जिसमें निःशुल्क शिक्षा, कौशल विकास और रोज़गार के अवसर उपलब्ध कराये जायेंगे।
- राष्ट्रीय एकता में जैन संतों की भूमिका:
- मंत्री ने जैन संतों के योगदान की सराहना की, जिन्होंने उत्तर प्रदेश से कर्नाटक, बिहार से गुजरात तक आध्यात्मिक का प्रसार किया।
- उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि आचार्य जी ने हमें सिखाया कि भारत की पहचान उसकी संस्कृति में गहराई से निहित है।
- आचार्य जी ने हिंदी महाकाव्य 'मूक माटी' की रचना की, जिसका अनुवाद अनेक भाषाओं में किया जा चुका है। यह कृति दर्शन, नैतिकता, अध्यात्म और राष्ट्र के संदर्भ में अत्यंत महत्त्वपूर्ण मानी जाती है।
- मंत्री ने जैन संतों के योगदान की सराहना की, जिन्होंने उत्तर प्रदेश से कर्नाटक, बिहार से गुजरात तक आध्यात्मिक का प्रसार किया।
आचार्य विद्यासागर महाराज
- आचार्य विद्यासागर महाराज जैन समुदाय में एक अत्यंत सम्मानित साधु थे, जो अपनी बुद्धिमत्ता और आध्यात्मिक नेतृत्व के लिये जाने जाते थे।
- उन्होंने युवावस्था में ही संन्यास ग्रहण कर लिया और आचार्य की प्रतिष्ठित उपाधि प्राप्त की, जो उनके गहन ज्ञान और आध्यात्मिक उपलब्धियों का प्रतीक है।
- उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, पर्यावरण संरक्षण और सतत् कृषि के क्षेत्र में सक्रिय रूप से काम किया।
- उन्होंने सामाजिक प्रगति को प्रोत्साहित किया और लोगों से लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में भाग लेने का आग्रह किया।
- उन्होंने अपने अंतिम क्षणों में सल्लेखना (मृत्यु तक उपवास रखने की एक स्वैच्छिक जैन प्रथा) का अनुसरण किया और जीवन के अंतिम तीन दिनों तक भोजन और जल का परित्याग किया।