रूप कंवर मामला: भारत की अंतिम सती घटना पर पुनर्विचार | 10 Oct 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में रूप कंवर की मृत्यु के 37 वर्ष बाद, जयपुर की एक न्यायालय ने सती प्रथा को महिमामंडित करने के आरोपी आठ व्यक्तियों को अपर्याप्त साक्ष्यों का हवाला देते हुए बरी कर दिया।
प्रमुख बिंदु
- रूप कंवर की सती घटना (वर्ष 1987):
- राजस्थान के दिवराला की 18 वर्षीया महिला रूप कंवर ने 4 सितंबर 1987 को अपने पति की चिता पर बैठकर कथित तौर पर सती हो गयी थी।
- बताया जाता है कि हज़ारों लोगों ने उन्हें कार्यक्रम के दौरान सोलह शृंगार करते और गायत्री मंत्र का जाप करते देखा।
- सती प्रथा (रोकथाम) अधिनियम, 1987):
- रूप कंवर की घटना के बाद लागू इस कानून का उद्देश्य सती प्रथा और उसके महिमामंडन को रोकना है।
- महत्त्वपूर्ण प्रावधान:
- धारा 3: सती होने के प्रयास के लिये दंड, जिसमें आजीवन कारावास भी शामिल है।
- धारा 5: सती प्रथा का महिमामंडन करने पर 7 वर्ष तक का कारावास और 30,000 रुपए का जुर्माना।
- सती के महिमामंडन में किसी भी प्रकार के कार्यक्रम आयोजित करना, स्मारक बनाना, या सती हुई महिला के सम्मान को बढ़ावा देना शामिल है।
सती प्रथा (रोकथाम) अधिनियम, 1987
- यह अधिनियम महिलाओं के खिलाफ सती प्रथा पर रोक लगाता है।
- "सती" का अर्थ है जीवित जलाने या दफनाने की क्रिया:
- किसी विधवा को उसके मृत पति या किसी अन्य संबंधी के शव के साथ या पति या ऐसे संबंधी से संबद्ध किसी वस्तु, या सामान के साथ; या
- किसी भी महिला को उसके किसी रिश्तेदार के शव के साथ, भले ही ऐसा जलाना या दफनाना विधवा अथवा महिला या अन्यथा की ओर से स्वैच्छिक होने का दावा किया गया हो।