रोहिन बैराज | 14 Apr 2025

चर्चा में क्यों?

हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने महाराजगंज में रोहिन बैराज परियोजना का उद्घाटन किया।

मुख्य बिंदु

  • बैराज के बारे में: 
    • यह परियोजना उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही एक सिंचाई अवसंरचना परियोजना है, जो पूर्वी उत्तर प्रदेश के किसानों के लिये बहुत महत्त्वपूर्ण मानी जा रही है। 
    • रोहिन बैराज लगभग 86 मीटर लंबा है और इसके दोनों तटों पर सिंचाई की सुविधा प्रदान की गई है, जिससे 7,000 हेक्टेयर से अधिक खेती योग्य भूमि को सीधा लाभ मिलेगा। यह क्षेत्र अब तक वर्षा या अस्थायी जल स्रोतों पर निर्भर था।
    • इस बैराज से पाँच माइनर नहरें निकाली गई हैं— रामनगर, नकटोजी, वटजगर, सिसवा और बौलिया— सिंचाई व्यवस्था को सुदृढ़ करेंगी।
    • इन नहरों के माध्यम से रबी और खरीफ दोनों ही फसलों के लिये जल आपूर्ति सुनिश्चित की जा सकेगी।
    • इस बैराज का निर्माण रोहिन नदी पर किया गया है।
    • इस परियोजना से सीधे तौर पर 16,000 किसानों को लाभ मिलेगा। इन किसानों को नियमित और संरचित रूप में पानी की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी।
    • बैराज बनने से आसपास के गाँवों में स्थायी नहर प्रणाली और जल आपूर्ति व्यवस्था विकसित होगी। 

रबी की फसल

  • इन फसलों को लौटते मानसून और पूर्वोत्तर मानसून के मौसम के दौरान (अक्तूबर) बोया जाता है, जिन्हें रबी या सर्दियों की फसल कहा जाता है।
  • इन फसलों की कटाई सामान्यतः गर्मी के मौसम में अप्रैल और मई के दौरान होती है।
  • इन फसलों पर वर्षा का अधिक प्रभाव नहीं पड़ता है। 
  • रबी की प्रमुख फसलें गेहूँ, चना, मटर, जौ आदि हैं।
  • बीजों के अंकुरण के लिये गर्म जलवायु और फसलों के विकास हेतु ठंडी जलवायु की आवश्यकता होती है। 

खरीफ की फसलें : 

  • दक्षिण-पश्चिम मानसून के मौसम में बोई जाने वाली फसलें खरीफ या मानसून की फसलें कहलाती हैं।
  • ये फसलें मौसम की शुरुआत में मई के अंत से लेकर जून की शुरुआत तक बोई जाती हैं और अक्तूबर से शुरू होने वाली मानसूनी बारिश के बाद काटी जाती हैं।
  • ये फसलें वर्षा के पैटर्न पर निर्भर करती हैं।
  • चावल, मक्का, दालें जैसे उड़द, मूंग दाल और बाजरा प्रमुख खरीफ फसलों में से हैं।
  • इन्हें बढ़ने के लिये अधिक पानी और गर्म मौसम की आवश्यकता होती है।