राजस्थान
सरकारी नौकरियों में ट्रांसजेंडर को भी आरक्षण
- 15 Feb 2022
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चर्चा में क्यों?
14 फरवरी, 2022 को राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को सरकारी नौकरियों में ट्रांसजेंडर को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुरूप आरक्षण देने का निर्देश दिया।
प्रमुख बिंदु
- जस्टिस मदन गोपाल व्यास और जस्टिस मनींद्र मोहन श्रीवास्तव की पीठ ने राजस्थान सरकार की उस दलील को खारिज कर दिया कि जिसमें कहा गया कि नौकरी में आरक्षण देना या कितना देना राज्य का विशेषाधिकार है।
- हाईकोर्ट की जोधपुर पीठ ने सरकार को ट्रांसजेंडरों के लिये राज्य सरकार की नौकरियों में कोटा तय करने का निर्देश दिया। साथ ही इससे संबंधित प्रक्रियाओं को चार माह में पूरा करने को कहा।
- उच्च न्यायालय ने पुलिस उप-निरीक्षक बनने की इच्छा रखने वाले और इससे संबंधित भर्ती प्रक्रिया में भाग लेने वाले ट्रांसजेंडर समुदाय के सदस्य की याचिका पर अपना यह फैसला सुनाया।
- उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण के मामले में अपने फैसले में सार्वजनिक सेवाओं में नियुक्ति और शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश में ट्रांसजेंडर के अधिकारों को लेकर फैसला दिया है।
- गौरतलब है कि ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों के लिये कर्नाटक सरकार ने सरकारी नौकरियों में एक प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला किया था तथा ऐसा करने वाला वह देश का पहला राज्य है।
- ट्रांसजेंडर वह व्यक्ति है, जो अपने जन्म से निर्धारित लिंग के विपरीत लिंगी की तरह जीवन बिताता है, जब किसी व्यक्ति के जननांगों और मस्तिष्क का विकास उसके जन्म से निर्धारित लिंग के अनुरूप नहीं होता है, तब महिला यह महसूस करने लगती है कि वह पुरुष है और पुरुष यह महसूस करने लगता है कि वह महिला है।
- वर्ष 2019 में संसद ने ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षणिक सशक्तीकरण के लिये एक विधेयक ट्रांसजेंडर व्यक्तियों (अधिकारों का संरक्षण) विधेयक, 2019 को पारित किया था।