उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश विधानसभा की प्रक्रिया तथा कार्य संचालन नियमावली-2023 का प्रतिवेदन विधानसभा में पेश
- 08 Aug 2023
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चर्चा में क्यों?
7 अगस्त, 2023 को उत्तर प्रदेश विधानसभा की प्रक्रिया तथा कार्य संचालन नियमावली-2023 का प्रतिवेदन विधानसभा में पेश किया गया। 8 अगस्त तक इस पर विधायक संशोधन प्रस्ताव दे सकेंगे तथा 9 अगस्त को नियमावली पर सदन में चर्चा कर मंज़ूरी दिलाने की योजना है।
प्रमुख बिंदु
- उत्तर प्रदेश विधानसभा की प्रक्रिया तथा कार्य संचालन नियमावली-2023 में ई-विधान के तहत सदन की कार्यवाही को अधिक-से-अधिक ऑनलाइन करने का प्रावधान किया गया है।
- मंज़ूरी के बाद विधानसभा का शीतकालीन सत्र नई नियमावली के तहत संचालित होगा। विधायकों के सवालों के जवाब सहित अन्य सूचनाएँ संबंधित विभाग से ऑनलाइन ली जा सकेंगी और ऑनलाइन ही विधायकों को दी जाएंगी।
- नियमावली में सदन में विधायकों के आचरण व व्यवहार तय किये गए हैं-
- विधायक सदन में किसी दस्तावेज़ को फाड़ नहीं सकेंगे।
- भाषण करते समय दीर्घा में किसी अजनबी की ओर संकेत नहीं करेंगे, न ही उसकी प्रशंसा कर सकेंगे।
- विधायक अध्यक्ष की ओर पीठ करके न तो खड़े हो सकेंगे और न ही बैठ सकेंगे।
- सदन में न शस्त्र ला सकेंगे, न ही प्रदर्शित कर सकेंगे।
- ऐसे किसी भी साहित्य, प्रश्नावली, पुस्तिका, प्रेस टिप्पणी, पर्चों का वितरण नहीं कर सकेंगे, जो सदन से संबंधित न हों।
- धूम्रपान नहीं कर सकेंगे।
- लॉबी में इतनी तेज़ आवाज़ न तो बात करेंगे न ही हँसेंगे, जो सदन में सुनाई दे।
- विधानसभा का सत्र अब सात दिन के नोटिस पर आहूत हो सकेगा-
- वर्तमान में 15 दिन के नोटिस पर यह व्यवस्था है। शासन की ओर से विधानसभा सचिवालय को सत्र आहूत करने की तिथि से सात दिन पहले सूचना देनी होगी।
- विधानसभा के प्रमुख सचिव की ओर से प्रत्येक दिन के कार्य की सूची बनाकर उसकी एक प्रति विधायकों को ऑनलाइन या ऑफलाइन उपलब्ध करानी होगी।
- विधानसभा अध्यक्ष, नेता सदन या सदन की अनुमति से कार्य के क्रम में परिवर्तन कर सकेंगे।
- विधायकों को ईमेल व मोबाइल संदेश के ज़रिये भी सत्र आहूत होने की सूचना दी जाएगी।
- अधिकारियों के नाम लेने पर रोक-
- विधायक उच्च प्राधिकार प्राप्त व्यक्तियों के आचरण पर तब तक आरोप नहीं लगा सकेंगे, जब तक कि चर्चा उचित रूप से रखे गए मूल प्रस्ताव पर आधारित न हो।
- सदस्य अपने भाषण के अधिकार का उपयोग सभा के कार्य में बाधा डालने के लिये नहीं कर सकेंगे। सरकारी अधिकारियों के नाम को लेकर कोई उल्लेख नहीं करेंगे।
- वाद-विवाद पर प्रभाव डालने के उद्देश्य से राज्य के नाम का उपयोग नहीं करेंगे।
- अध्यक्ष या पीठ की अनुमति के बिना लिखित भाषण नहीं पढ़ सकेंगे। किसी भी दीर्घा में बैठे अजनबी के लिये निर्देश नहीं दे सकेंगे।
- नियमानुसार विधानसभा की नई नियमावली पर सदन में 14 दिन चर्चा होनी चाहिये, लेकिन सत्र केवल पाँच दिन का होने के कारण नियमावली पर शुक्रवार तक ही चर्चा हो सकेगी।
- भर्त्सना पर रुकेगी वेतन वृद्धि
- नियमावली में विशेषाधिकार हनन के मामलों में भर्त्सना व जुर्माने का अधिकार विधानसभा अध्यक्ष को देना प्रस्तावित है।
- विधानसभा के प्रश्नों का जवाब नहीं देने या आदेश का उल्लंघन करने पर अधिकारियों, कर्मचारियों या अन्य व्यक्ति की अध्यक्ष भर्त्सना कर सकेंगे या उन पर जुर्माना भी लगा सकेंगे।
- किसी अधिकारी या कर्मचारी की भर्त्सना करने या उन पर जुर्माना लगाने से उनकी वेतनवृद्धि और पदोन्नति प्रभावित होगी।
- तारांकित प्रश्न पर अधिकतम दो पूरक प्रश्न पूछे जा सकेंगे-
- विधानसभा में अब किसी भी तारांकित प्रश्न पर दो पूरक प्रश्न ही पूछे जा सकेंगे। पूरक प्रश्न पूछने में पहली प्राथमिकता मूल प्रश्नकर्त्ता विधायक को मिलेगी। यदि प्रश्नकर्त्ता एक-से-अधिक हैं तो दूसरी प्राथमिकता दूसरे प्रश्नकर्त्ता को मिलेगी।
- विधायक को अपने प्रश्न सत्र शुरू होने से तीन दिन पहले लिखित या ऑनलाइन विधानसभा के प्रमुख सचिव के समक्ष देने होंगे। सचिव को उन पर 24 घंटे के भीतर अध्यक्ष की अनुमति प्राप्त करनी होगी। अतारांकित प्रश्नों के उत्तर उसी दिन सदन के पटल पर रखे जाएंगे।
- जनहित से जुड़े विषयों पर सदन का ध्यान आकर्षित करने के लिये सदस्यों को सदन की कार्यवाही शुरू होने से एक घंटे पहले ऑनलाइन या ऑफलाइन सूचना दो प्रति में विधानसभा के प्रमुख सचिव को देनी होगी।
- ध्यान आकर्षण से संबंधित सूचना शासन की ओर से अधिकतम 30 दिन में संबंधित सदस्य या विधानसभा सचिवालय में पेश करनी होगी।