पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होगी, धार्मिक नगरी रतनपुर | 20 Sep 2021
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने छत्तीसगढ़ कि धार्मिक और पौराणिक नगरी रतनपुर को देश एवं दुनिया के पर्यटकों के सामने लाने तथा इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने हेतु राज्य शासन कार्ययोजना बनाने का निर्देश दिया है।
प्रमुख बिंदु
- केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय के निर्देश पर छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल और राज्य शासन ने बीते दिनों रतनपुर व आसपास के पर्यटन स्थलों का जायजा लिया।
- पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होने के बाद राजा मोरध्वज और रत्नदेव की इस नगरी को दुनिया भर के पर्यटक अब करीब से देख सकेंगे।
- पर्यटकों के लिहाज से यहाँ की विशेषता और कला को उभारा जाएगा, ऐतिहासिक और पुरातात्त्विक महत्त्व के महल व किले को सँवारा जाएगा।
- तालाबों कि नगरी के नाम से प्रसिद्ध रतनपुर की सबसे बड़ी खाशियत ये है कि यहाँ कई सौ साल पुराने 200 तालाबों की ऐसी श्रृंखला है, जिसके कारण यहाँ अब तक अकाल नहीं पड़ा। तालाबों का निर्माण इस प्रकार किया गया है कि बारिश के दिनों में एक तालाब के भर जाने पर पानी दूसरे तालाब में पहुँचता है।
- उल्लेखनीय है कि बिलासपुर ज़िले में स्थित यह नगरी आदिशक्ति माँ महामाया देवी के मंदिर के लिये प्रसिद्ध है। इस पवित्र पौराणिक नगरी का प्राचीन एवं गौरवशाली इतिहास है। इसे ‘चतुर्युगी नगरी’ भी कहा जाता है, जिसका तात्पर्य है कि इसका अस्तित्व चारों युगों में विद्यमान रहा है।
- त्रिपुरी के कलचुरि राजा रत्नदेव प्रथम ने सर्वप्रथम रतनपुर को अपनी राजधानी बनाया था और बाद के कलचुरि राजाओं ने इसी राजधानी से दीर्घकाल तक छत्तीसगढ़ में शासन किया था।
- महामाया मंदिर का निर्माण राजा रत्नदेव प्रथम द्वारा 11वीं शताब्दी में कराया गया था। मंदिर के भीतर महाकाली, महासरस्वती और महालक्ष्मी स्वरूप देवियों की प्रतिमाएँ विराजमान हैं।
- मान्यता है कि रतनपुर में देवी सती का दाहिना स्कंद गिरा था। भगवान शिव ने स्वयं आविर्भूत होकर उसे कौमारी शक्ति पीठ का नाम दिया था, जिसके कारण माँ के दर्शन से कुँवारी कन्याओं को सौभाग्य की प्राप्ति होती है। नवरात्रि में श्रद्धालुओं द्वारा यहाँ हज़ारों की संख्या में मनोकामना ज्योति कलश प्रज्वलित किये जाते हैं।