बागपत में मिले पृथ्वीराज चौहान के शासनकाल के दुर्लभ सिक्के | 01 Dec 2021
चर्चा में क्यों?
हाल ही में बागपत जनपद के खेकड़ा के निकटवर्ती दिल्ली-सहारनपुर हाईवे से सटे गाँव काठा के प्राचीन टीले में पुरातात्त्विक स्थल निरीक्षण में दिल्ली अधिपति राजा पृथ्वीराज चौहान सहित, राजा अनंगपाल देव, राजा मदनपाल, राजा चाहड़ा राजदेव के समय के 16 दुर्लभ सिक्के प्राप्त हुए हैं।
प्रमुख बिंदु
- इतिहासकार डॉ. अमित राय जैन का कहना है कि यह उपलब्धि बागपत एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश के इतिहास के लिये नया आयाम खोलेगी, क्योंकि किसी भी वंश के शासकों के सिक्कों की श्रृंखला प्राप्त होना, वहाँ उस क्षेत्र पर उन राजाओं के आधिपत्य को सिद्ध करता है। मुद्रा शास्त्र के आधार पर शोध करने वाले शोधार्थियों के लिये यह खोज़ काफी महत्त्वपूर्ण है।
- ज्ञातव्य है कि बागपत जनपद में 2005 में शहजाद राय शोध संस्थान के निदेशक डॉ. अमित राय जैन के प्रस्ताव पर भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण ने उत्खनन कार्य किया। उसके बाद सन् 2018 में सिनौली का उत्खनन का कार्य हुआ, वहाँ से प्राप्त दुर्लभ पुरावशेष तथा तांबे से निर्मित लकड़ी के युद्ध रथ भारत में प्रथम बार प्राप्त हुए। उसके उपरांत से जनपद बागपत संपूर्ण विश्व के पुरातत्त्वविद् एवं इतिहासकारों के लिये रोमांचक खोज़ एवं शोध का केंद्रबिंदु बना हुआ है।
- इस संबंध में इतिहासकार अमित राय जैन का कहना है कि यह प्राचीन टीला हज़ारों वर्षों से यह मौज़ूद है। यहाँ के स्थल निरीक्षण में कई बार यहाँ से कुषाण काल एवं बाद की सभ्यताओं के अवशेष, मृद्भांड इत्यादि प्राप्त होते रहे हैं। उसी श्रृंखला में फिलहाल 16 सिक्कों का प्राप्त होना सिद्ध करता है कि यहाँ कोई बड़ी मानव बस्ती उस समय रही होगी, जहाँ पर व्यापारिक लेन-देन में सिक्कों का प्रचलन था।
- सिक्कों के खोजकर्त्ता इतिहासकार डॉ. अमित राय जैन ने सिक्कों की धातु के बारे में बताया कि यह बिलन धातु के सिक्के हैं, जिसका निर्माण चांदी एवं तांबे को मिलाकर किया जाता था। चांदी क्योंकि अति दुर्लभ थी तो सिक्कों को बनाने में उसमें तांबे की मात्रा भी मिलाई जाती थी।
- यहाँ से प्राप्त सिक्कों में कुछ सिक्कों को रासायनिक विधि से साफ किया गया है, जिससे उन पर लिखे गए नामों का उल्लेख स्पष्ट रूप से किया जा सका है।
- पृथ्वीराज चौहान (सन् 1178-1192 ई.), चौहान वंश के हिंदू क्षत्रिय राजा थे, जिन्होंने उत्तर-भारत में 12वीं सदी के उत्तरार्द्ध में अजमेर और दिल्ली पर शासन किया था।