तालाब गहरीकरण के दौरान प्राप्त हुई योग नरसिंह की विरल प्राचीन मूर्ति | 18 Feb 2022
चर्चा में क्यों?
17 फरवरी, 2022 को छत्तीसगढ़ के रायपुर ज़िले के आरंग विकासखंड के अंतर्गत ग्राम कुम्हारी में तालाब गहरीकरण के दौरान प्राप्त योग नरसिंह की विरल प्राचीन मूर्ति को संस्कृति एवं पुरातत्त्व विभाग द्वारा रायपुर के घासीदास स्मारक संग्रहालय में लाया गया।
प्रमुख बिंदु
- योग नरसिंह की यह प्राचीन मूर्ति लाल बलुआ पत्थर से निर्मित है और 4थी-5वीं सदी ईसवी की आँकी जा रही है। तालाब खुदाई के दौरान गुप्तकालीन पात्र परंपरा के मृद्भांड भी पाए गए हैं।
- गौरतलब है कि 15 फरवरी को सोशल मीडिया में प्रसारित ग्राम कुम्हारी ज़िला रायपुर से खुदाई में दौरान नरसिंह की प्राचीन प्रतिमा मिलने की खबर के आधार पर संस्कृति एवं पुरातत्त्व विभाग के संचालक विवेक आचार्य ने विभागीय अधिकारियों की टीम बनाकर प्राप्त प्रतिमा और उसके प्राप्ति स्थल का निरीक्षण करने के निर्देश दिये थे।
- उप संचालक डॉ. पी.सी. पारख के नेतृत्व में पुरातत्त्ववेत्ता प्रभात कुमार सिंह, उत्खनन सहायक प्रवीन तिर्की की टीम कुम्हारी गाँव पहुँची और मूर्ति एवं प्राप्ति स्थल का मुआयना किया। बस्ती के उत्तर में बघधरा नामक देवस्थल के पास स्थित भाठा ज़मीन यह मूर्ति प्राप्त हुई थी।
- पुरातत्त्व विभाग के अनुसार यह अनूठी और विरल प्राप्त होने वाली मूर्ति है। इसे नरसिंह अथवा शांत नरसिंह भी कहा जाता है। ऐसी मुद्रा में देवता अकेले शांत बैठे हुए प्रदर्शित किये जाते हैं। आमतौर पर हिरण्यकश्यप का वध करते (पेट फाड़ते) हुए नरसिंह मूर्ति बहुतायत में मिलती है, लेकिन नरसिंह की इस रूप की प्रतिमा का शिल्पांकन अपेक्षाकृत कम हुआ है।
- लाल बलुआ पत्थर निर्मित इस मूर्ति का आकार 18×12.5×02 सेंटीमीटर है, जिसका निचला भाग अंशत: खंडित है।