हरियाणा
राखीगढ़ी की खोज
- 20 Apr 2024
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चर्चा में क्यों?
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (NCERT) द्वारा प्रस्तावित स्कूली पाठ्यपुस्तकों में हाल के बदलावों में से एक में हरियाणा के राखीगढ़ी के प्राचीन स्थल पर खोजे गए कंकाल अवशेषों पर डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड (DNA) विश्लेषण के परिणामों के विषय में जानकारी जोड़ना शामिल है।
- इसके अतिरिक्त, आदिवासियों पर विस्थापन और बढ़ती गरीबी के कारण नर्मदा बाँध परियोजना के नकारात्मक प्रभाव के संदर्भ हटा दिये गए हैं।
मुख्य बिंदु:
- NCERT ने कहा है कि राखीगढ़ी हरियाणा में पुरातात्त्विक स्रोतों से प्राचीन DNA के अध्ययन से पता चलता है कि हड़प्पावासियों का आनुवंशिक मूल 10,000 ईसा पूर्व तक रहा है।
- राखीगढ़ी भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा हड़प्पा स्थल है। यह स्थल मौसमी घग्गर नदी से लगभग 27 किमी. दूर सरस्वती नदी के मैदानी इलाके में स्थित है।
- 6000 ईसा पूर्व (पूर्व-हड़प्पा चरण) से 2500 ईसा पूर्व तक इसके विकास का अध्ययन करने के लिये भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (ASI) के पुरातत्त्वविद अमरेंद्र नाथ के नेतृत्व में राखीगढ़ी में खुदाई की गई थी।
- प्रोफेसर शिंदे ने राखीगढ़ी से जुड़े शोध में अहम भूमिका निभाई। प्रोफेसर शिंदे भारतीय इतिहास से जुड़े इन शोधों पर एक किताब 'हिस्ट्री ऑफ इंडिया' भी लिख रहे हैं।
- प्रोफेसर शिंदे ने कहा-
- राखीगढ़ी, लोथल गिलुंड, नुजात आदि स्थानों की खुदाई में मिले अवशेषों, सबूतों और कंकालों की DNA रिपोर्ट से यह साबित हो गया है कि हड़प्पा सभ्यता विश्व की सबसे पुरानी तथा सबसे विकसित सभ्यता थी।
- आर्यों के आक्रमण और बाहर से आने का सिद्धांत मनगढ़ंत व गलत है, जिसकी पुष्टि DNA के पुरातात्त्विक तथा वैज्ञानिक सत्यापन के आधार पर की गई है।
भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (ASI)
- संस्कृति मंत्रालय के तहत ASI देश की सांस्कृतिक विरासत के पुरातात्त्विक अनुसंधान और संरक्षण के लिये प्रमुख संगठन है।
- यह 3,650 से अधिक प्राचीन स्मारकों, पुरातात्त्विक स्थलों और राष्ट्रीय महत्त्व के अवशेषों का प्रबंधन करता है।
- इसकी गतिविधियों में पुरातात्त्विक अवशेषों का सर्वेक्षण करना, पुरातात्त्विक स्थलों की खोज और उत्खनन, संरक्षित स्मारकों का संरक्षण तथा रखरखाव आदि शामिल हैं।
- इसकी स्थापना वर्ष 1861 में ASI के पहले महानिदेशक अलेक्जेंडर कनिंघम द्वारा की गई थी। अलेक्जेंडर कनिंघम को “भारतीय पुरातत्त्व का जनक” भी कहा जाता है।
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद
- राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद एक स्वायत्त संगठन है जिसकी स्थापना वर्ष 1961 में सोसायटी पंजीकरण अधिनियम के तहत की गई थी।
- यह स्कूली शिक्षा से संबंधित मामलों पर केंद्र और राज्य सरकारों को सलाह देने वाली शीर्ष संस्था है।