राजस्थान जनजातीय आंदोलन | 15 Jul 2024
चर्चा में क्यों?
दक्षिणी राजस्थान के जनजाति बहुल क्षेत्रों में एक लोकप्रिय आंदोलन स्वदेशी बीज किस्मों को संरक्षित करने के लिये कार्य कर रहा है, जिनमें से अधिकांशतः विलुप्त होने के कगार पर हैं। यह प्रयास फसल विविधता को बढ़ावा दे रहा है और जलवायु लचीलापन बढ़ा रहा है
मुख्य बिंदु:
- राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात के ट्राइ-जंक्शन पर स्थित जनजातीय क्षेत्र में लगभग 1,000 गाँवों तथा बस्तियों से हज़ारों जनजातीय लोगों ने बीज महोत्सवों की शृंखला में भाग लिया।
- बीज महोत्सव में पारंपरिक बीजों का प्रदर्शन किया गया तथा उनके गुणों और महत्त्व पर संवादात्मक सत्र आयोजित किये गए।
- जनजातियों को कई पीढ़ियों से चली आ रही कृषि प्रथाओं के माध्यम से जैवविविधता की अपनी समृद्ध विरासत की रक्षा करने के लिये प्रोत्साहित किया गया।
- कृषि क्षेत्र में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के बढ़ते प्रभाव के बीच स्वदेशी बीज जनजातीय समुदायों द्वारा संरक्षित एक महत्त्वपूर्ण विरासत है।
- बाँसवाड़ा स्थित स्वैच्छिक समूह वाग्धारा बीज उत्सव कार्यक्रमों का मुख्य आयोजक था, जिसे अन्य जनजाति अधिकार समूहों, जैसे- कृषि एवं आदिवासी स्वराज संगठन, ग्राम स्वराज समूह, सक्षम समूह और बाल स्वराज द्वारा सुविधा प्रदान की गई थी।