भारत बंद के चलते राजस्थान में हाई अलर्ट | 22 Aug 2024
चर्चा में क्यों?
आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति द्वारा आयोजित भारत बंद के बाद राजस्थान में हाई अलर्ट है।
यह विरोध प्रदर्शन सर्वोच्च न्यायालय के उस निर्णय के विरोध में है, जिसमें राज्यों को अनुसूचित जातियों (SC) और अनुसूचित जनजातियों (ST) के बीच 'क्रीमी लेयर' की पहचान करने तथा उन्हें आरक्षण लाभ से बाहर करने का निर्देश दिया गया है।
मुख्य बिंदु
- सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय सुनाया कि राज्यों को पिछड़ेपन के विभिन्न स्तरों के आधार पर SC और ST को उप-वर्गीकृत करने की संवैधानिक अनुमति है।
- सात न्यायाधीशों की पीठ ने निर्णय सुनाया कि राज्य अब सबसे वंचित समूहों को बेहतर सहायता प्रदान करने के लिये 15% आरक्षण कोटे के भीतर SC को उप-वर्गीकृत कर सकते हैं।
- सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय सुनाया है कि 'क्रीमी लेयर' सिद्धांत, जो पहले केवल अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) पर लागू होता था (जैसा कि इंद्रा साहनी मामले में उजागर किया गया था), अब SC और ST पर भी लागू होना चाहिये।
- इसका अर्थ है कि राज्यों को SC और ST के भीतर क्रीमी लेयर की पहचान करनी चाहिये तथा उन्हें आरक्षण लाभों से बाहर करना चाहिये।
बंद, हड़ताल या इसी तरह के विरोध प्रदर्शन आयोजित करने की संवैधानिकता
- भारतीय संविधान का अनुच्छेद 19(1)(c) नागरिकों को संघ या यूनियन बनाने का मौलिक अधिकार देता है।
- अनुच्छेद 19 अपने नागरिकों के अधिकारों, विशेष रूप से भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के संबंध में राज्य की शक्ति को प्रतिबंधित करता है।
- अनुच्छेद 19(1)(a) नागरिकों को भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार देता है, जिसमें विभिन्न माध्यमों से राय, विश्वास एवं दृढ़ विश्वास व्यक्त करना शामिल है।
- विचारों के प्रत्यक्ष प्रतिनिधित्व के रूप में प्रदर्शनों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के तहत संरक्षित किया जाता है, बशर्ते वे अहिंसक और व्यवस्थित हों।
- हड़तालों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दायरे में शामिल नहीं किया गया है।
- अनुच्छेद 19 स्पष्ट रूप से नागरिकों को हड़ताल, बंद या चक्का जाम आयोजित करने का मौलिक अधिकार नहीं देता है।