राजस्थान ने अवैध खनन के खिलाफ ड्रोन सर्वेक्षण शुरू किया | 31 Jan 2024
चर्चा में क्यों ?
हाल ही में राजस्थान सरकार ने अवैध खनन गतिविधियों के खिलाफ एक बड़ा अभियान चलाया है जिसमें ऐसी गतिविधियों के स्रोतों पर अंकुश लगाने के लिये ड्रोन के माध्यम से सर्वेक्षण शुरू किया है।
- अवैध खनन के सबसे ज्यादा 75 मामले भीलवाड़ा ज़िले में सूचित किये गए हैं।
मुख्य बिंदु:
- राजस्थान की भूमि में 81 प्रकार के खनिज हैं, जिनमें से 57 का व्यावसायिक दोहन किया जा रहा है।
- राज्य में देश में सबसे अधिक खनन पट्टे हैं जबकि सरकार सुदूर संवेदन डेटा और भौगोलिक सूचना प्रणालियों का उपयोग करके बिना लाइसेंस एवं अवैध खनन पर अंकुश लगाने हेतु उपाय कर रही है।
- अधिकारियों के अनुसार, राजस्व अधिकारी उस भूमि पर खातेदारी (स्वामित्व) अधिकारों को रद्द करने के लिये राजस्थान किरायेदारी अधिनियम, 1955 के तहत कार्रवाई शुरू करने के अभियान में शामिल थे, जहाँ अवैध खनन हो रहा था।
- फील्ड अधिकारी खनन माफिया और उल्लंघनकर्त्ताओं की पहचान करते हैं एवं डेटा ऑनलाइन जमा करते हैं, जिसका उपयोग आगे की कार्रवाई शुरू करने हेतु किया जाता है।
अवैध खनन
- सरकारी अधिकारियों से आवश्यक परमिट, लाइसेंस या नियामक अनुमोदन के बिना भूमि या जल निकायों से खनिजों, अयस्कों या अन्य मूल्यवान संसाधनों का निष्कर्षण अवैध खनन है।
- इसमें पर्यावरण, श्रम और सुरक्षा मानकों का उल्लंघन भी शामिल हो सकता है।
- भारत में खनन से संबंधित कानून:
- भारत के संविधान की सूची II (राज्य सूची) के क्रम संख्या 23 की प्रविष्टि राज्य सरकार को उनकी सीमाओं के भीतर स्थित खनिजों का स्वामित्व देने का आदेश देती है।
- सूची I (केंद्रीय सूची) के क्रम संख्या 54 की प्रविष्टि केंद्र सरकार को भारत के अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ) के भीतर खनिजों का मालिकाना अधिकार प्रदान करती है।
- इसके अनुसरण में खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) (MMDR) अधिनियम, 1957 बनाया गया था।
- लघु खनिजों से संबंधित नीति और कानून बनाने की शक्ति पुर्णतः राज्य सरकारों को सौंपी गई है जबकि प्रमुख खनिजों से संबंधित नीति एवं कानून केंद्र सरकार के तहत खान मंत्रालय द्वारा निर्धारित किये जाते हैं।