राजस्थान मृत शरीर का सम्मान विधेयक -2023 ध्वनिमत से पारित | 22 Jul 2023
चर्चा में क्यों?
20 जुलाई, 2023 को राजस्थान विधानसभा में राजस्थान मृत शरीर का सम्मान विधेयक -2023 को चर्चा के बाद ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। यह विधेयक मृत शरीरों की गरिमा को सुनिश्चित करते हुए इनके धरना-प्रदर्शन में किये जाने वाले दुरुपयोग पर प्रभावी रोक लगाएगा।
प्रमुख बिंदु
- संसदीय कार्यमंत्री शांति कुमार धारीवाल ने विधानसभा में इस विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि मृत शवों को रखकर धरना-प्रदर्शन की प्रवृत्ति दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। वर्तमान में ऐसी घटनाओं पर प्रभावी रूप से रोक लगाने के लिये विधिक में प्रावधान नहीं है, इसीलिये यह विधेयक लाया गया है।
- संसदीय कार्यमंत्री शांति कुमार धारीवाल ने बताया कि वर्ष 2014 से 2018 तक इस तरह की 82 एवं वर्ष 2019 से अब तक 306 घटनाएँ हुई हैं।
- इस विधेयक से लावारिस शवों की डीएनए एवं जेनेटिक प्रोफाइलिंग कर डाटा संरक्षित भी किया जाएगा ताकि भविष्य में उनकी पहचान हो सके।
- संसदीय कार्य मंत्री ने बताया कि परिजन द्वारा मृत व्यक्ति का शव नहीं लेने की स्थिति में विधेयक में एक वर्ष तक की सजा व जुर्माने का प्रावधान किया गया है। साथ ही परिजन द्वारा धरना-प्रदर्शन में शव का उपयोग करने पर भी 2 वर्ष तक की सजा व जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
- इसी प्रकार परिजन से भिन्न अन्य व्यक्ति द्वारा शव का विरोध करने के लिये इस्तेमाल करने पर 6 माह से 5 वर्ष तक की सजा एवं जुर्माने से दंडित करने का प्रावधान किया गया है।
- कार्यपालक मजिस्ट्रेट को मृतक का अंतिम संस्कार 24 घंटे में कराने की शक्ति प्रदान की गई है। यह अवधि विशेष परिस्थितियों में बढ़ाई भी जा सकेगी। साथ ही परिजन द्वारा शव का अंतिम संस्कार नहीं करने की स्थिति में लोक प्राधिकारी द्वारा अंतिम संस्कार किया जा सकेगा।
- शांति कुमार धारीवाल ने बताया कि सिविल रिट पिटीशन आश्रय अधिकार अभियान बनाम यूनियन ऑफ इंडिया में उच्चतम न्यायालय ने मृत शरीरों के शिष्टतापूर्वक दफन या अंतिम संस्कार के निर्देश प्रदान किए थे। इस निर्देशों की पालना में इस विधेयक में लावारिस शवों का सम्मानपूर्वक अंतिम संस्कार करना और इन शवों की डीएनए प्रोफाइलिंग और डिजिटाइजेशन के माध्यम से आनुवंशिक जेनेटिक डाटा सूचना का संरक्षण और सूचना की गोपनीयता रखने जैसे महत्त्वपूर्ण प्रावधान किये गए हैं।
- इससे लावारिस शवों का रिकॉर्ड संधारित हो सकेगा और उनकी भविष्य में पहचान भी हो सकेगी। उन्होंने बताया कि वर्ष 2023 तक प्रदेश में 3216 लावारिस शव मिले हैं।
- इससे पूर्व सदन ने जनमत जानने के लिये विधेयक को परिचालित करने का प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया।