राजस्थान
राजस्थान के मुख्यमंत्री ने कई सांस्कृतिक विरासत परियोजनाओं की घोषणा की
- 21 Mar 2024
- 3 min read
चर्चा में क्यों?
हाल ही में राजस्थान के मुख्यमंत्री ने राज्य की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के लिये 12 स्थानों पर विभिन्न पैनोरमा और संग्रहालयों के निर्माण की घोषणा की।
मुख्य बिंदु:
- युवाओं को राजस्थान की ऐतिहासिक जड़ों और मूल्यों के बारे में शिक्षित करने हेतु, सरकार देवताओं, महान योद्धाओं तथा संतों के जीवन को प्रदर्शित करने के लिये प्रतिबद्ध है।
- इस परियोजना के तहत करौली ज़िले के महावीर मंदिर में श्री महावीर पैनोरमा, भरतपुर ज़िले में ब्रज चौरासी कोस परिक्रमा मार्ग, अजमेर में जैन मुनि विद्यासागर महाराज पैनोरमा, डीडवाना-कुचामन के कालवा में भक्त शिरोमणि कर्मा बाई पैनोरमा, बीकानेर के कतरियासर में जसनाथ जी पैनोरमा , बालोतरा के बायतु में खेमा बाबा पैनोरमा, चित्तौड़गढ़ में भामाशाह पैनोरमा, जोधपुर में राव चंद्रसेन पैनोरमा, भरतपुर में गोकुला जाट पैनोरमा और जैसलमेर में जैसलमेर पैनोरमा का निर्माण राजस्थान हेरिटेज अथॉरिटी द्वारा किया जाएगा।
- वर्ष 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में गाँवों के योगदान को याद करने के लिये जयपुर में एक स्मारक के साथ-साथ राजस्थान की वीर नारियों के सम्मान में एक संग्रहालय भी बनाया जाएगा।
श्री महावीर जी मंदिर
- श्री महावीर जी में पाँच मंदिर हैं। अतिशय क्षेत्र श्रीमहावीरजी जैनियों के चमत्कारी तीर्थों में से एक माना जाता है।
- यह तीर्थ राजस्थान के करौली ज़िले के हिंडौन ब्लॉक में गंभीर नदी के तट पर स्थित है।
- इसका निर्माण 17वीं शताब्दी में महावीर की मूर्ति की खोज के बाद एक जैन व्यापारी, श्री अमर चंद बिलाला द्वारा किया गया था।
खेमा बाबा मंदिर
- खेमा बाबा मंदिर एक हिंदू मंदिर है जो लोक देवता भगवान "सिद्ध श्री खेमा बाबा" को समर्पित है, जो राजस्थान के बाड़मेर ज़िले के बायतु में एक रेत के टीले के पास स्थित है।
- वह बायतु भोपजी गाँव में पैदा हुए एक समाज सुधारक थे।
चित्तौड़गढ़ के भामाशाह
- भामा शाह एक प्रसिद्ध सेनापति, मंत्री और महाराणा प्रताप सिंह के करीबी सहयोगी थे। उनके द्वारा प्रदान की गई वित्तीय सहायता ने महाराणा प्रताप को अपनी सेना को बहाल करने और अपने खोए हुए क्षेत्र को पुनः प्राप्त करने की अनुमति दी।
- भामाशाह जयंती प्रत्येक वर्ष 29 जून को मनाई जाती है।
- उदयपुर में उन्हें समर्पित एक स्मारक है। भारत सरकार ने वर्ष 2000 में उनके सम्मान में एक डाक टिकट जारी किया।