हरियाणा में रबी फसल की खरीद | 26 Mar 2025

चर्चा में क्यों?

हरियाणा सरकार ने रबी विपणन सीजन 2025-26 के लिये 75 लाख मीट्रिक टन गेहूँ खरीद का लक्ष्य रखा है। 

  • खरीद को सुविधाजनक बनाने के लिये भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा 6,653 करोड़ रुपए से अधिक की नकद ऋण सीमा पहले ही स्वीकृत की जा चुकी है।

मुख्य बिंदु:

  • हरियाणा को इस रबी सीजन में गेहूँ  की उल्लेखनीय पैदावार की उम्मीद है, जिससे राज्य सरकार द्वारा खरीद व्यवस्था को बढ़ाने की तैयारी गई है।
  • मुख्यमंत्री ने विपणन बोर्ड के अधिकारियों को भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिये मंडियों के खाली क्षेत्रों में बड़े शेड बनाने के निर्देश दिये हैं।
  • खरीद की ज़िम्मेदारियाँ विभिन्न एजेंसियों के बीच विभाजित की गई हैं:
    • 30% खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग द्वारा
    • 40% HAFED (हरियाणा राज्य सहकारी आपूर्ति एवं विपणन संघ लिमिटेड) द्वारा
    • 20% हरियाणा राज्य भंडारण निगम द्वारा
    • 10% भारतीय खाद्य निगम द्वारा
  • हरियाणा केंद्रीय पूल में लगभग 25% गेहूँ  का योगदान देता है तथा भारत में गेहूँ  उत्पादन में दूसरे स्थान पर है।
  • गेहूँ  की खरीद के लिये कुल 415 मंडियाँ संचालित होंगी, जौ के लिये 25, चना के लिये 11, मसूर के लिये 7, सरसों के लिये 116 और सूरजमुखी के लिये 17 मंडियाँ संचालित होंगी।
  • विभिन्न रबी फसलों के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) निम्नानुसार तय किये गए हैं:
    • गेहूँ: ₹2,425 प्रति क्विंटल
    • जौ: ₹1,980 प्रति क्विंटल
    • चना: ₹5,650 प्रति क्विंटल
    • मसूर: ₹6,700 प्रति क्विंटल
    • सरसों: ₹5,950 प्रति क्विंटल
    • सूरजमुखी: ₹7,280 प्रति क्विंटल
  • मुख्यमंत्री ने सभी उपायुक्तों को खरीद प्रक्रिया की निगरानी के लिये टीमें गठित करने के निर्देश दिये हैं ताकि सुचारू एवं कुशल संचालन सुनिश्चित किया जा सके।

न्यूनतम समर्थन मूल्य:

परिचय:

  • MSP वह गारंटीकृत राशि है जो किसानों को तब दी जाती है जब सरकार उनकी फसल खरीदती है।
  • MSP कृषि लागत और मूल्य आयोग (Commission for Agricultural Costs and Prices- CACP) की सिफारिशों पर आधारित है, जो उत्पादन लागत, मांग तथा आपूर्ति, बाज़ार मूल्य रुझान, अंतर-फसल मूल्य समानता आदि जैसे विभिन्न कारकों पर विचार करता है।
    • CACP कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय का एक संलग्न कार्यालय है। यह जनवरी 1965 में अस्तित्व में आया।
  • भारत के प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (CCEA) MSP के स्तर पर अंतिम निर्णय (अनुमोदन) लेती है।
  • MSP का उद्देश्य उत्पादकों को उनकी फसल के लिये लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करना और फसल विविधीकरण को प्रोत्साहित करना है।