लैंसडौन का नाम बदलकर ‘कालौं का डांडा’ रखने का प्रस्ताव | 27 Oct 2022
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तराखंड के पौड़ी ज़िले में स्थित 132 साल पुराने लैंसडौन छावनी ने लैंसडौन का नाम ‘कालौं का डांडा (काले बादलों से घिरा पहाड़)’ रखने का प्रस्ताव रक्षा मंत्रालय को भेजा है।
प्रमुख बिंदु
- रक्षा मंत्रालय के आर्मी हेड कवार्टर ने सब एरिया उत्तराखंड से ब्रिटिशकाल में छावनी क्षेत्रों की सड़कों, स्कूलों, संस्थानों, नगरों और उपनगरों के रखे नामों को बदलने के लिये प्रस्ताव मांगे हैं।
- रक्षा मंत्रालय ने उनसे ब्रिटिशकाल के समय के नामों के स्थान पर क्या नाम रखे जा सकते हैं, इस बारे में भी सुझाव देने को कहा गया है। इसी के तहत लैंसडौन छावनी ने इसका नाम ‘कालौं का डांडा’ रखने का प्रस्ताव भेजा है। पहले इसे ‘कालौं का डांडा’ पुकारा जाता था। स्थानीय लोग इसका नाम यही रखने की मांग वर्षों से करते आए हैं। रक्षा मंत्रालय को भी इस बाबत कई पत्र भेजे जा चुके हैं।
- गौरतलब है कि 1886 में गढ़वाल रेजीमेंट की स्थापना हुई थी। 5 मई, 1887 को लेखकर्नल मेरविंग के नेतृत्व में अल्मोड़ा में बनी पहली गढ़वाल रेजीमेंट की पलटन 4 नवंबर 1887 को लैंसडौन पहुँची थी। उस समय लैंसडौन को ‘कालौं का डांडा’कहते थे। 21 सितंबर, 1890 को तत्कालीन वायसराय लॉर्ड लैंसडौन के नाम पर इसका नाम लैंसडौन रखा गया।