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झारखंड

‘प्रोजेक्ट कवच’

  • 03 Dec 2021
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में झारखंड में स्थित बोकारो स्टील प्लांट (बीएसएल) के प्रबंधन ने प्लांट स्तर पर सुरक्षा प्रदर्शन में सुधार के उद्देश्य से सुरक्षा संस्कृति में परिवर्तन के लिये ‘प्रोजेक्ट कवच’ लॉन्च किया है।

प्रमुख बिंदु

  • बीएसएल ने ‘सुरक्षा सांस्कृतिक परिवर्तन’ को सफलतापूर्वक प्राप्त करने के लिये एक रोड मैप की सुविधा, संचालन और प्रशिक्षण प्रदान करने हेतु एक प्रतिष्ठित सुरक्षा सलाहकार ‘एएसके-ईएचएस इंजीनियरिंग एंड कंसल्टेंट्स प्राइवेट लिमिटेड’ नियुक्त किया है। 
  • इस प्रमुख सुरक्षा पहल सह सांस्कृतिक अभियान को बीएसएल द्वारा ‘परियोजना कवच’ नाम दिया गया है। 
  • प्रोजेक्ट कवच का संपूर्ण उद्देश्य सभी कर्मचारियों और अनुबंध कर्मचारियों द्वारा सुरक्षित व्यवहार के माध्यम से कार्यस्थल के खतरों को कम करना है। कार्यस्थल पर खतरों और जोखिमों के खिलाफ सुरक्षित व्यवहार सबसे प्रभावी ‘कवच’ है।
  • बोकारो इस्पात कारखाना सार्वजनिक क्षेत्र में चौथा इस्पात कारखाना है। यह सोवियत संघ के सहयोग से 1965 में प्रारंभ हुआ था।
  • आरंभ में इसे 29 जनवरी, 1964 को एक लिमिटेड कंपनी के तौर पर निगमित किया गया और बाद में सेल के साथ इसका विलय हुआ। पहले यह सेल की एक सहायक कंपनी और बाद में सार्वजनिक क्षेत्र लोहा और इस्पात कंपनियाँ (पुनर्गठन एवं विविध प्रावधान) अधिनियम, 1978 के अंतर्गत एक यूनिट बनाई गई। कारखाने का निर्माण कार्य 6 अप्रैल, 1968 को प्रारंभ हुआ।
  • यह कारखाना देश के पहले स्वदेशी इस्पात कारखाने के नाम से विख्यात है। इसमें अधिकतर उपकरण, साज-सामान तथा तकनीकी कौशल स्वदेशी ही हैं।
  • कारखाने का 17 लाख टन इस्पात पिंड का प्रथम चरण 2 अक्टूबर, 1972 को पहली धमन भट्ठी चालू होने के साथ ही शुरू हुआ तथा निर्माण कार्य तीसरी धमन भट्ठी चालू होने पर 26 फरवरी, 1978 को पूरा हो गया। 
  • 40 लाख टन चरण की सभी यूनिटें चालू हो चुकी हैं और 1990 के दशक में आधुनिकीकरण से कारखाने की क्षमता बढ़ाकर 45 लाख टन तरल इस्पात की कर दी गई है।
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