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उत्तर प्रदेश

ताजमहल विवाद संबंधी याचिका पुन: दाखिल

  • 09 May 2022
  • 2 min read

चर्चा में क्यों? 

7 मई, 2022 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में याचिका दाखिल कर ताजमहल के इतिहास का सच सामने लाने की मांग की गई है। 

प्रमुख बिंदु 

  • याचिका में यह भी कहा गया है कि ताजमहल के बंद 22 कमरों को खोलकर जाँच कराई जाए क्योंकि कुछ लोगों का मानना है कि यह भगवान शंकर का मंदिर था, जिसे तोड़कर ताजमहल बना दिया गया। 
  • इसके साथ ही यह भी मांग की गई है कि 1951 और 1958 में बने कानूनों, जिनमें ताजमहल, फतेहपुर सीकरी के किले व आगरा के लाल किले को ऐतिहासिक इमारत घोषित किया गया है, को भी संवैधानिक प्रावधानों के विरुद्ध घोषित किया जाए। 
  • यह याचिका इतिहासकार पी.एन. ओक की किताब ताजमहलको आधार बनाकर दाखिल की गई है, जिसके अनुसार ताजमहल वास्तव में तेजोमहालय है, जिसका निर्माण 1212 ई. में राजा परमार्दिदेव द्वारा कराया गया था तथा जयपुर के राजा मानसिंह ने इसका संरक्षण किया था किन्तु बाद में मुगल शासक शाहजहाँ ने राजा मानसिंह से इसे हड़प लिया था। 
  • गौरतलब है कि वर्ष 2015 में आगरा सिविल कोर्ट में भी ताजमहल को भगवान श्री अग्रेश्वर महादेव नागनाथेश्वर विराजमान तेजोमहालयघोषित करने की याचिका दाखिल की गई थी, जिसका आधार बटेश्वर में मिले राजा परमार्दिदेव के शिलालेख को बनाया गया था। 
  • हालाँकि वर्ष 2017 में केंद्र सरकार व भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण ने प्रतिवाद-पत्र दाखिल कर ताजमहल में कोई मंदिर या शिवलिंग होने या उसे तेजोमहालय मानने से इनकार कर दिया था। 
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