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हरियाणा

हरियाणा राज्य सूचना आयोग में लंबित मामले

  • 18 Feb 2025
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

सूचना के अधिकार (RTI) के तहत मिले जवाब के अनुसार, हरियाणा राज्य सूचना आयोग 7,000 से अधिक अपील मामलों का लंबित निपटारा कर रहा है। अधिकारियों को सूचना देने में देरी के लिये राज्य लोक सूचना अधिकारियों पर लगाए गए जुर्माने के रूप में 2.84 करोड़ रुपए अभी भी वसूलने हैं।

प्रमुख बिंदु

  • लंबित अपील मामले:
    • जनवरी 2024 में मुख्य सूचना आयुक्त और सात राज्य सूचना आयुक्तों के समक्ष 8,340 अपील मामले लंबित थे।
    • दिसंबर 2024 तक यह संख्या घटकर 7,216 हो गई तथा एक वर्ष में केवल लगभग 1,000 मामले ही सुलझाए गए।
  • सीमित जागरूकता अभियान: 
    • RTI के जवाब के अनुसार, 2005 से अब तक केवल पाँच कार्यशालाएँ आयोजित की गई हैं, जिनमें 896 प्रतिभागियों ने भाग लिया था, जिनमें से अंतिम कार्यशाला 2011 में पंचकूला में आयोजित की गई थी।
  • जुर्माना और वसूली का विवरण:
    • पिछले 20 वर्षों में आयोग ने सूचना उपलब्ध कराने में देरी के 3,611 मामलों में 5.86 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है। 
      • हालाँकि, अब तक केवल 2.84 करोड़ रुपए ही वसूले जा सके हैं।
    • आयोग ने समय पर सूचना उपलब्ध न कराने के कारण 1,974 मामलों में 92 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है।

सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम

  • के बारे में:
    • सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 सरकारी सूचना के लिये नागरिकों के अनुरोधों पर समय पर प्रतिक्रिया देने का प्रावधान करता है।
    • सूचना का अधिकार अधिनियम का मूल उद्देश्य नागरिकों को सशक्त बनाना, सरकार के कामकाज़ में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देना, भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना तथा हमारे लोकतंत्र को वास्तविक अर्थों में लोगों के लिये काम करने योग्य बनाना है।
  • सूचना का अधिकार (संशोधन) अधिनियम, 2019:
    • इसमें प्रावधान किया गया कि मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्त (केंद्र और राज्य दोनों के) केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित अवधि तक पद पर बने रहेंगे। इस संशोधन से पहले उनका कार्यकाल 5 वर्ष निर्धारित था।
    • इसमें प्रावधान किया गया कि मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्त (केन्द्र तथा राज्य के) के वेतन, भत्ते और अन्य सेवा शर्तें केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित की जाएंगी।
    • इसने मुख्य सूचना आयुक्त, सूचना आयुक्त, राज्य मुख्य सूचना आयुक्त और राज्य सूचना आयुक्त के वेतन में कटौती से संबंधित प्रावधानों को हटा दिया, जो उनकी पिछली सरकारी सेवा के दौरान प्राप्त पेंशन या किसी अन्य सेवानिवृत्ति लाभ के कारण होता था।
    • RTI (संशोधन) अधिनियम, 2019 की आलोचना इस आधार पर की गई कि यह कानून को कमज़ोर करता है और केंद्र सरकार को अधिक शक्तियाँ देता है।


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