यमुना जल साझाकरण हेतु समझौता | 19 Feb 2024
चर्चा में क्यों?
हरियाणा ने सतलुज-यमुना लिंक (SYL) नहर से पानी साझा करने के लिये राजस्थान के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किये, जिसमें विशेष रूप से बरसात के दिनों में हथिनीकुंड बैराज से अतिरिक्त पानी बहता है।
मुख्य बिंदु:
- समझौते के अनुसार, दोनों राज्य हथिनीकुंड बैराज की पश्चिमी यमुना नहर से पाइपलाइन बिछाने के लिये एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करेंगे।
- तीन पाइप सीकर, झुंझुनू और चूरू ज़िलों के लिये होंगे, जबकि दादरी ज़िले के माध्यम से दक्षिणी हरियाणा की ओर पानी ले जाने हेतु एक अतिरिक्त पाइप बिछाया जाएगा।
सतलुज-यमुना लिंक (SYL) नहर
- इस मुद्दे की मूल जड़ वर्ष 1966 में हरियाणा को पंजाब से अलग किये जाने के बाद वर्ष 1981 का एक विवादास्पद जल-बँटवारा समझौता है।
- पंजाब:
- पंजाब पड़ोसी राज्यों के साथ किसी भी अतिरिक्त जल के बंटवारे का कड़ा विरोध करता है। वे इस बात पर ज़ोर देते हैं कि पंजाब में अतिरिक्त जल की कमी है और पिछले कुछ वर्षों में उनके जल आवंटन में कमी हुई है।
- वर्ष 2029 के बाद पंजाब के कई क्षेत्रों में जल समाप्त हो सकता है और सिंचाई के लिये राज्य पहले ही अपने भूजल का अत्यधिक दोहन कर चुका है क्योंकि गेहूंँ तथा धान की खेती करके यह केंद्र सरकार को हर साल लगभग 70,000 करोड़ रुपए मूल्य का अन्न भंडार उपलब्ध कराता है।
- राज्य के लगभग 79% क्षेत्र में पानी का अत्यधिक दोहन है और ऐसे में सरकार का कहना है कि किसी अन्य राज्य के साथ पानी साझा करना असंभव है।
- हरियाणा:
- पंजाब, हरियाणा के हिस्से का जल उपयोग कर रहा है, इसलिये हरियाणा बढ़ते जल संकट का हवाला देते हुए नहर के कार्य को पूरा करने की मांग करता है।
- हरियाणा का तर्क है कि राज्य में सिंचाई के लिये जल उपलब्ध कराना कठिन है और हरियाणा के दक्षिणी हिस्सों में पीने के पानी की समस्या है जहांँ भूजल स्तर 1,700 फीट तक कम हो गया है।
- हरियाणा केंद्रीय खाद्य पूल (Central Food Pool) में अपने योगदान का हवाला देता रहा है और तर्क देता है कि एक न्यायाधिकरण द्वारा किये गए मूल्यांकन के अनुसार उसे उसके जल के उचित हिस्से से वंचित किया जा रहा है।