राशनलाइजेशन आयोग की संरचना और कार्यक्षेत्र के बारे में अधिसूचना जारी | 29 Mar 2023
चर्चा में क्यों?
28 मार्च, 2023 को हरियाणा के मुख्य सचिव संजीव कौशल ने राजन गुप्त की अध्यक्षता में गठित राशनलाइजेशन आयोग की संरचना और कार्यक्षेत्र के बारे में अधिसूचना जारी की।
प्रमुख बिंदु
- राज्य के एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि जारी अधिसूचना के अनुसार आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति 6 महीने की अवधि के लिये की जाएगी। हालाँकि, उनका कार्यकाल राज्य सरकार के विवेक पर 3 महीने के लिये और अधिक अवधि के लिये बढ़ाया जा सकता है।
- राशनलाइजेशन आयोग के अध्यक्ष का पद हरियाणा सरकार के मुख्य सचिव के समकक्ष होगा तथा इस आयोग का मुख्यालय चंडीगढ़/पंचकूला में होगा।
- राशनलाइजेशन आयोग एक स्वायत्त और स्व-नियामक निकाय के रूप में कार्य करेगा। संबंधित विभाग, जिसके संबंध में आयोग राशनलाइजेशन की प्रक्रिया शुरू करेगा, के प्रशासनिक सचिव को उस विभाग के राशनलाइजेशन के प्रयोजन के लिये आयोग के सदस्य के रूप में सहयोजित माना जाएगा। वह संबंधित विभाग के राशनलाइजेशन के उद्देश्य से आयोग के विचार-विमर्श में पूरी तरह से भाग लेंगे।
- राशनलाइजेशन आयोग के सुचारु कामकाज के लिये अध्यक्ष के परामर्श से राज्य सरकार राशनलाइजेशन आयोग के लिये अपेक्षित पदों को मंज़ूर करेगी। पदों को आयोग द्वारा विभिन्न तरीके से भरा जा सकता है। राज्य के किसी भी विभाग, बोर्ड या निगम से प्रतिनियुक्ति पर और हरियाणा राज्य के किसी भी विभाग, बोर्ड या निगम से सेवानिवृत्त व्यक्ति की पुनर्नियुक्ति द्वारा भरा जा सकता है।
- इसके अलावा, राज्य सरकार के निर्देशों और नीतियों के अनुसार कॉन्ट्रैक्चुअल रोज़गार के माध्यम से भी पदों को भरा जा सकता है।
- आयोग अपनी अंतिम रिपोर्ट छह महीने की अवधि के भीतर प्रस्तुत करेगा, जिसे सरकार के विवेक पर 3 महीने तक बढ़ाया जा सकता है और यथाशीघ्र एक अंतरिम रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा। यदि सरकार उचित समझती है तो, सरकार अपने विवेक से आयोग के कार्यकाल को इसी प्रकार से और अवधि के लिये बढ़ा सकती है।
- आयोग के कार्य-
- आयोग सार्वजनिक सेवाओं के वितरण को और अधिक कुशल और पारदर्शी बनाने की दृष्टि से कर्मचारियों की संख्या के युक्तिकरण के लिये विभिन्न सरकारी विभागों, बोर्डों और निगमों के पुनर्गठन के लिये सिफारिशें करेगा।
- इसी प्रकार, प्रत्येक विभाग, बोर्ड और निगम के स्वीकृत भरे हुए एवं रिक्त पदों की समीक्षा करना और उनके युक्तिकरण के लिये सिफारिशें करना, विभिन्न विभागों, बोर्डों और निगमों के मुख्यालय के साथ-साथ फील्ड स्तर पर संगठनात्मक संरचना का अध्ययन करना और उन्हें अधिक उत्तरदायी और कुशल बनाने के लिये सिफारिशें करना, सरकारी विभागों/बोर्डों और निगमों की दक्षता में सुधार के लिये और सभी स्तरों के अधिकारियों को अधिक जवाबदेह बनाने के लिये आधुनिक प्रबंधन प्रणालियों की शुरुआत की सिफारिश करना शामिल हैं।
- विभिन्न विभागों के कर्त्तव्यों और कार्यों के चार्टर की तैयारी के लिये सिफारिशें करना और ऐसे कर्त्तव्यों और कार्यों को कुशलतापूर्वक निर्वहन करने के लिये उचित प्रशासनिक संरचना का सुझाव देना भी आयोग के कार्यों में शामिल है।
- इसके अलावा, हरियाणा राज्य में सरकारी विभागों, बोर्डों और निगमों के कामकाज में दक्षता और पारदर्शिता में सुधार के लिये भी आयोग कोई अन्य सिफारिश कर सकता है।
- आयोग की शक्तियाँ और उत्तरदायित्व-
- आयोग एक स्वतंत्र और स्वायत्त निकाय के रूप में कार्य करेगा और यह अपनी स्वयं की प्रक्रिया तैयार करेगा और अपने स्वयं के कामकाज को विनियमित करेगा। आयोग अपने कामकाज का रिकॉर्ड रखेगा।
- आयोग के पास किसी भी विभाग, बोर्ड या निगम से किसी भी प्रकार की जानकारी मांगने की पूर्ण शक्तियाँ होंगी, जिनमें स्वीकृत पदों की संख्या, भरे हुए, रिक्त, और ऐसे पदों के विरुद्ध नियोजित कर्मचारियों के प्रकार, पिछले वर्षों के दौरान किये गए बजटीय प्रावधान और वास्तविक व्यय सहित विभाग का बजट, संपूर्ण या किसी विशेष स्तर/क्षेत्रीय संगठन आदि के रूप में विभाग के कर्त्तव्यों और उत्तरदायित्वों की प्रकृति, विभाग द्वारा संभाले जा रहे विषयों से संबंधित कानून, नियम और निर्देश तथा आयोग द्वारा अपने विचार-विमर्श के लिये प्रासंगिक मानी गई कोई अन्य जानकारी शामिल है।
- यदि कोई अधिकारी/कर्मचारी आयोग द्वारा मांगी गई जानकारी प्रस्तुत करने में विफल रहता है तो वह हरियाणा सिविल सेवा दंड और अपील नियम, 2016 या उसके लिये लागू किसी भी संबंधित नियम के तहत सरकार के संबंधित अधिकारियों द्वारा अनुशासनहीनता के लिये कार्यवाही करने हेतु उत्तरदायी होगा।