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छत्तीसगढ़

कृषि महाविद्यालय के वैज्ञानिकों ने विकसित की हल्दी व धनिया की नई प्रजाति

  • 27 Sep 2021
  • 2 min read

चर्चा में क्यों?

26 सितंबर, 2021 को कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र रायगढ़ में आयोजित अखिल भारतीय मसाला अनुसंधान परियोजना की वार्षिक बैठक में रायगढ़ के वैज्ञानिकों के शोध से विकसित धनिया एवं हल्दी के नई प्रजातियों की राष्ट्रीय स्तर पर विमोचन हेतु पहचान की गई।

प्रमुख बिंदु

  • इन प्रजातियों को केंद्रीय विमोचन समिति के समक्ष प्रस्तुत करने के उपरांत दोनों प्रजातियों को बीज उत्पादन श्रृंखला में लाया जाएगा।
  • धनिया की एक प्रविष्ठी को छत्तीसगढ़ राज्य धनिया-3 के नाम से शामिल किया जाएगा तथा देश के 10 प्रदेशों के लिये विमोचित किया जाएगा। वहीं दूसरी तरफ हल्दी की प्रविष्ठी को छत्तीसगढ़ राज्य हल्दी-3 के नाम से शामिल किया जाएगा और देश के 7 प्रदेशों के लिये विमोचित किया जाएगा। विमोचन के बाद इन प्रजातियों के बीज का विभिन्न वर्गों में उत्पादन भी किया जा सकेगा। 
  • इन प्रजातियों के प्रमुख प्रजनक वैज्ञानिक डॉ. श्रीकांत सांवरगावकर ने बताया कि धनिया एवं हल्दी की ये दोनों प्रजातियाँ किसानों के लिये बहुत महत्त्वपूर्ण एवं लाभदायक हैं, जो कि किसानों के बाज़ार के अनुरूप हैं। इनके उत्पादन से किसान ज़्यादा-से-ज़्यादा लाभ प्राप्त कर सकते हैं। इन प्रजातियों का उत्पादन ज़्यादा एवं गुणवत्ता अच्छी है। इनकी फसल अवधि प्रचलित प्रजातियों से थोड़ा कम है।
  • परियोजना के प्रमुख अन्वेषक एवं कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. ए.के. सिंह ने बताया कि इन दोनों प्रजातियों से छत्तीसगढ़ के ही नहीं, अपितु अन्य राज्यों के किसानों को भी इनका लाभ मिलेगा। इन प्रजातियों में रोगों एवं कीटों के प्रति प्रतिरोधकता अधिक है। इन प्रजातियों की उत्पादन लागत कम होने एवं उत्पादन अधिक होने से कृषकों को अधिक लाभ मिलेगा।
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