देहरादून में चौथे ईएमआरएस राष्ट्रीय सांस्कृतिक और साहित्यिक उत्सव एवं कला उत्सव-2023 का हुआ उद्घाटन | 05 Oct 2023
चर्चा में क्यों?
3 अक्तूबर, 2023 को केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा ने उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की उपस्थिति में चौथे एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) राष्ट्रीय सांस्कृतिक और साहित्यिक उत्सव एवं कला उत्सव-2023 का उद्घाटन किया।
प्रमुख बिंदु
- इस उत्सव का आयोजन जनजातीय कार्य मंत्रालय के अंतर्गत जनजातीय छात्रों के लिये राष्ट्रीय शिक्षा सोसायटी (एनईटीएस) ने किया है और महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज, देहरादून में एकलव्य विद्यालय संगठन समिति (ईवीएसएस), उत्तराखंड इसकी मेज़बानी कर रहा है।
- एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) सांस्कृतिक उत्सव आदिवासी छात्रों को विभिन्न क्षेत्रों में अपनी छिपी प्रतिभा दिखाने के लिये एक राष्ट्रीय मंच प्रदान करता है।
- इस वर्ष चार दिवसीय कार्यक्रम (3-6 अक्तूबर) में 22 राज्यों के 2000 से अधिक आदिवासी छात्र प्रदर्शन करेंगे।
- उत्सव में 20 से अधिक कार्यक्रम आयोजित किये जाएंगे, जिनमें नृत्य और गीत प्रदर्शन से लेकर प्रश्नोत्तरी एवं दृश्य कला आदि शामिल हैं। आदिवासी संस्कृति को प्रदर्शित करने के लिये विभिन्न राज्यों के स्टॉलों की व्यवस्था की गई है।
- इस तरह के आयोजन ईएमआरएस के बच्चों एवं शिक्षकों को एक-दूसरे से मिलने, देश के विभिन्न प्रांतों की संस्कृतियों को समझने और सीखने का अवसर प्रदान करते हैं, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की कल्पना को पूरा करते हैं।
- इस तरह के कार्यक्रम सभी को प्रेरित करेंगे और अपनी संस्कृति के साथ-साथ देश के विभिन्न कोनों में रहने वाले आदिवासी समुदायों की समृद्ध परंपराओं के बारे में जानने का बेहतर अवसर प्रदान करेंगे।
- इस अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड में आदिवासियों की विविध परंपराओं और संस्कृति एवं राज्य में अनुसूचित जनजातियों के कल्याण के लिये चलाई जा रहीं विभिन्न सरकारी योजनाओं पर प्रकाश डाला।
- उल्लेखनीय है कि ईएमआरएस में शिक्षा प्राप्त करने वाले आदिवासी छात्रों के लिये ‘ईएमआरएस राष्ट्रीय सांस्कृतिक उत्सव’ हर साल सबसे प्रतीक्षित कार्यक्रम है।
- एनईएसटीएस पूरे भारत में अनुसूचित जनजातियों के लिये ईएमआरएस चला रहा है। ईएमआरएस योजना जनजातीय कार्य मंत्रालय के प्रमुख कार्यक्रमों में से एक है और इसे वर्ष 2018-19 में नया रूप दिया गया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि दूर-दराज के आदिवासी इलाकों के छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके।