उत्तर प्रदेश
अयोध्या में मंदिरों का संग्रहालय
- 26 Jun 2024
- 4 min read
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने अयोध्या में ‘मंदिरों का संग्रहालय’ बनाने के लिये टाटा संस के प्रस्ताव को अनुमति दी, जिसकी अनुमानित लागत 750 करोड़ रुपए है।
मुख्य बिंदु
- राज्य के पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह के अनुसार, कंपनी अपने कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (Corporate Social Responsibility- CSR) फंड का उपयोग करके परियोजना का प्रबंधन करेगी।
- पर्यटन विभाग इस अंतर्राष्ट्रीय स्तर के संग्रहालय के लिये कंपनी की ज़मीन को 90 वर्षों के लिये पट्टे पर देगा, जिसके लिये उसे मात्र 1 रुपए का शुल्क देना होगा।
- कंपनी मंदिर शहर में और अधिक विकास परियोजनाओं के लिये अतिरिक्त 100 करोड़ रुपए का निवेश करेगी।
- मुख्यमंत्री पर्यटन फेलोशिप कार्यक्रम को भी कैबिनेट से मंज़ूरी मिल गई है।
- शुरुआत में 25 शोधकर्त्ताओं का चयन किया जाएगा, जिनमें से प्रत्येक को 40,000 रुपए दिये जाएँगे, जिसमें 30,000 रुपए भुगतान के लिये और फील्ड ट्रिप के लिये 10,000 रुपए और टैबलेट दिये जाएँगे। वे पर्यटन विकास में सहयोग करेंगे तथा इस क्षेत्र में निवेश आकर्षित करेंगे।
- कैबिनेट बैठक के दौरान स्वीकृत अन्य प्रस्ताव निम्नलिखित थे:
- लखनऊ, प्रयागराज और कपिलवस्तु में हेलीपैड बनाकर सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल के तहत हेलीकॉप्टर सेवाओं का शुभारंभ।
- निष्क्रिय विरासत भवनों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाना चाहिये, जैसे- लखनऊ में कोठी रोशन दूल्हा, मथुरा में बरसाना जल महल और कानपुर में शुक्ला तालाब।
- प्रस्ताव का उद्देश्य भारतीय दंड संहिता की जगह भारतीय न्याय संहिता 2023 को देश की नई दंड संहिता के रूप में लागू करना है। इसके अतिरिक्त, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 को भी लागू किया जाएगा।
कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (Corporate Social Responsibility- CSR)
- कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) की अवधारणा यह विचार है कि कंपनियों को पर्यावरण और सामाजिक कल्याण पर अपने प्रभावों का आकलन करना चाहिये तथा उनकी ज़िम्मेदारी लेनी चाहिये एवं सकारात्मक सामाजिक व पर्यावरणीय परिवर्तन को बढ़ावा देना चाहिये।
- कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व के चार मुख्य प्रकार हैं:
- पर्यावरणीय ज़िम्मेदारी
- नैतिक ज़िम्मेदारी
- परोपकारी ज़िम्मेदारी
- आर्थिक ज़िम्मेदारी
- कंपनी अधिनियम, 2013 के अंतर्गत CSR प्रावधान उन कंपनियों पर लागू होता है जिनका वार्षिक कारोबार 1,000 करोड़ रुपए या उससे अधिक है या जिनकी निवल संपत्ति 500 करोड़ रुपए या उससे अधिक है या जिनका शुद्ध लाभ 5 करोड़ रुपए या उससे अधिक है।
- अधिनियम के तहत कंपनियों को एक CSR समिति गठित करने की आवश्यकता होती है, जो निदेशक मंडल को कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व नीति की सिफारिश करेगी तथा समय-समय पर उसकी निगरानी भी करेगी।