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State PCS Current Affairs


छत्तीसगढ़

मुरिया जनजाति

  • 30 Apr 2024
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

आंध्र प्रदेश छत्तीसगढ़ के बीच सीमावर्ती क्षेत्रों में निवास करने वाली मुरिया/मुड़िया जनजाति के पास दोनों राज्यों से प्राप्त मतदाता कार्ड हैं, एक उनके मताधिकार का प्रयोग करने के लिये है एवं दूसरा उनके जन्म के संदर्भ और प्रमाण के लिये।

मुख्य बिंदु:

  • यह बस्ती नक्सलवाद से प्रभावित आंध्र प्रदेश-छत्तीसगढ़ सीमा पर 'भारत के रेड कॉरिडोरके भीतर स्थित है जो आरक्षित वन के भीतर स्थित एक मरूद्यान (Oasis) है तथा यह बस्ती और निर्वनीकरण पर प्रतिबंध लगाने वाले सख्त कानूनों द्वारा संरक्षित है।
  • मुरिया बस्ती को आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों (IDP) के निवास स्थान के रूप में जाना जाता है, जिनकी आबादी आंध्र प्रदेश में लगभग 6,600 है और यहाँ के मुरियाओं को मूल जनजातियों द्वारा 'गुट्टी कोया' कहा जाता है।
  • यह जनजाति माओवादियों और सलवा जुडूम के बीच संघर्ष के दौरान विस्थापित हुई थी।
  • मुरिया भारत के छत्तीसगढ़ के बस्तर ज़िले का एक मूल आदिवासी, अनुसूचित जनजाति द्रविड़ समुदाय है। वे गोंडी समुदाय का हिस्सा हैं।

सलवा जुडूम

  • यह गैरकानूनी सशस्त्र नक्सलियों के खिलाफ प्रतिरोध के लिये संगठित आदिवासी व्यक्तियों का एक समूह है। इस समूह को कथित तौर पर छत्तीसगढ़ में सरकारी तंत्र द्वारा समर्थित किया गया था।
  • वर्ष 2011 में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने नागरिकों को इस तरह से हथियार देने के खिलाफ निर्णय सुनाया और सलवा-जुडूम पर प्रतिबंध लगा दिया तथा छत्तीसगढ़ सरकार को माओवादी गुरिल्लाओं से निपटने के लिये स्थापित किसी भी मिलिशिया बल को भंग करने का निर्देश दिया।

आंतरिक रूप से विस्थापित लोग (IDP)

  • IDP ऐसे व्यक्ति विशेष या व्यक्तियों के समूह हैं जिन्हें पलायन करने या अपने घरों या निवास स्थानों को छोड़ने के लिये मज़बूर किया गया है, विशेष रूप से सशस्त्र संघर्ष के प्रभाव से बचने के लिये, सामान्य हिंसा की स्थिति, मानवाधिकार या प्राकृतिक या मानव निर्मित आपदाओं का उल्लंघन और जिन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सीमा को पार नहीं किया है

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