छत्तीसगढ़
मुरिया जनजाति
- 15 Apr 2024
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चर्चा में क्यों?
रिपोर्टों के अनुसार, वामपंथी चरमपंथियों और राज्य प्रायोजित सलवा जुडूम के बीच संघर्ष के दौरान मुरिया जनजातियाँ छत्तीसगढ़ के दंडकारण्य क्षेत्र से पलायन कर गईं तथा आंध्र प्रदेश के आरक्षित वन्य क्षेत्रों में बस गईं।
- हालाँकि, प्राथमिक शिक्षा, सुरक्षित पेयजल और सामाजिक कल्याण लाभों तक उनकी पहुँच एक सपना बनी हुई है तथा अब उन पर विस्थापन का भी खतरा मंडरा रहा है।
मुख्य बिंदु:
- यह बस्ती नक्सलवाद से प्रभावित आंध्र प्रदेश-छत्तीसगढ़ सीमा पर 'भारत के लाल गलियारे (Red Corridor)' के भीतर स्थित है जो एक आरक्षित वन के भीतर एक निर्जन स्थान (Oasis) के रूप में बसी है, जो बस्ती और निर्वनीकरण पर प्रतिबंध लगाने वाले सख्त कानूनों द्वारा संरक्षित है।
- वे छत्तीसगढ़ के दंडकारण्य क्षेत्र के सुकमा, दंतेवाड़ा और बीजापुर ज़िलों से पलायन कर तत्कालीन पूर्वी एवं पश्चिमी गोदावरी ज़िलों में बस गए
- मुरिया बस्तियों को आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों (IDP) की बस्तियों के रूप में जाना जाता है, जिनकी आबादी आंध्र प्रदेश में लगभग 6,600 है और यहाँ के मुरियाओं को मूल जनजातियों द्वारा 'गुट्टी कोया' कहा जाता है।
- गैर-सरकारी संगठनों (NGO) के एक समूह द्वारा किये गए सर्वेक्षण के अनुसार, राज्य में 1,621 मुरिया परिवार हैं।
सलवा जुडूम
- यह गैरकानूनी सशस्त्र नक्सलियों के प्रतिरोध के लिये संगठित आदिवासी/जनजातीय व्यक्तियों का एक समूह है। इस समूह को कथित तौर पर छत्तीसगढ़ में सरकारी तंत्र द्वारा समर्थित किया गया था।
- वर्ष 2011 में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने नागरिकों को इस तरह से हथियार देने के विरुद्ध निर्णय सुनाया व सलवा-जुडूम पर प्रतिबंध लगा दिया और छत्तीसगढ़ सरकार को माओवादी गुरिल्लाओं से निपटने के लिये स्थापित किसी भी मिलिशिया बल को भंग करने का निर्देश दिया।
मुरिया जनजाति
- मुरिया भारत के छत्तीसगढ़ के बस्तर ज़िले का एक स्थानीय आदिवासी, अनुसूचित जनजाति द्रविड़ समुदाय है। वे गोंडी लोगों का हिस्सा हैं।
- ये लोग कोया बोलते हैं, जो एक द्रविड़ भाषा है।
- उनका विवाह और समग्र जीवन के प्रति प्रगतिशील दृष्टिकोण है। सबसे बड़ा उदाहरण घोटुल (एक कम्यून या छात्रावास) है, जिसका उद्देश्य मुरिया युवाओं में उनकी लैंगिकता को समझने के लिये एक वातावरण बनाना है।
आंतरिक रूप से विस्थापित लोग (Internally Displaced People- IDP)
- IDP ऐसे व्यक्ति विशेष या व्यक्तियों के समूह हैं जिन्हें विशेष रूप से सशस्त्र संघर्ष, सामान्यीकृत हिंसा की स्थितियों, उल्लंघनों, मानवाधिकार या प्राकृतिक या मानव निर्मित आपदाओं के परिणामस्वरूप या उनके प्रभाव से बचने के लिये पलायन करने या अपने घरों या अभ्यस्त निवास स्थानों को छोड़ने के लिये बाध्य किया गया है और जिन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सीमा को पार नहीं किया है।