मुराड़ी ने गाँव का दर्जा वापस मांगा | 04 Jun 2024
चर्चा में क्यों?
मुराड़ी को वर्ष 2018 में मुंगरा, नौगाँव और धारी ग्राम पंचायतों के साथ नौगाँव नगर पंचायत में मिला दिया गया था।
- नगर पंचायत का हिस्सा बनने के बाद से गाँव के निवासियों ने लाभ की तुलना में अधिक नुकसान का अनुभव किया है।
मुख्य बिंदु:
- गाँव में कृषि आय का प्राथमिक स्रोत है लेकिन नगर पंचायत में कृषि सुविधाओं का अभाव है।
- पूर्व ग्राम पंचायत द्वारा बनाए गए सिंचाई नहरें (कूल) अब उपेक्षित हैं।
- जंगली जानवरों (बंदर, सूअर, आवारा मवेशी) के बढ़ते आक्रमण से फसलों को खतरा है।
- राजमार्ग विस्तार के दौरान क्षतिग्रस्त हुई एक प्रमुख नहर की पाँच वर्षों से मरम्मत नहीं की गई है तथा छोटी नहरें भी क्षतिग्रस्त हो गई हैं, जिससे सिंचाई प्रभावित हो रही है।
- स्थानीय युवाओं ने अस्थायी नहर मरम्मत के लिये 35,000 रुपए जुटाए, जो सरकारी सहायता के बिना अप्रभावी साबित हुआ।
- ग्राम पंचायत से नगर पंचायत में परिवर्तन के कारण महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना (MGNREGS) के लाभ समाप्त हो गए।
- अब निवासियों को सेवा सुधार के बिना उच्च गृह कर, जल एवं विद्युत शुल्क का सामना करना पड़ रहा है।
- मुराड़ी निवासियों की एक प्रमुख चिंता बढ़ता प्रवास है।
- इस गाँव में ऐतिहासिक रूप से गैर-प्रवासी समुदाय रहता है, लेकिन निवासियों को डर है कि शहरी समावेशन से यह परंपरा बाधित हो जाएगी।
MGNREGA योजना
- परिचय:
- MGNREGA ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा वर्ष 2005 में शुरू किये गए विश्व के सबसे बड़े रोज़गार गारंटी कार्यक्रमों में से एक है।
- यह योजना न्यूनतम वेतन पर सार्वजनिक कार्यों से संबंधित अकुशल शारीरिक कार्य करने के इच्छुक किसी भी ग्रामीण परिवार के वयस्क सदस्यों को प्रत्येक वित्तीय वर्ष में न्यूनतम एक सौ दिनों के रोज़गार की कानूनी गारंटी प्रदान करता है।
- क्रियान्वित संस्था:
- भारत सरकार का ग्रामीण विकास मंत्रालय (MRD) राज्य सरकारों के साथ मिलकर इस योजना के संपूर्ण क्रियान्वयन की निगरानी कर रहा है।
- उद्देश्य:
- यह अधिनियम ग्रामीण लोगों की क्रय शक्ति में सुधार लाने के उद्देश्य से पेश किया गया था, इसका उद्देश्य मुख्य रूप से ग्रामीण भारत में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों को अर्ध या अकुशल कार्य प्रदान करना है।
- यह देश में अमीर और गरीब के बीच के अंतर को कम करने का प्रयास करता है।