मध्य प्रदेश की प्रति व्यक्ति शुद्ध आय बढ़कर 1,40,583 रुपए हुई | 31 Jul 2023
चर्चा में क्यों?
- 28 जुलाई, 2023 को केंद्रीय सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने अपने अद्यतन आँकडे जारी किये जिनमें पता चला है कि मध्य प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय विगत तीन वर्षों में 1,03,654 रुपए से बढ़कर 1,40,583 हुई है।
प्रमुख बिंदु
- देश के प्रगतिशील राज्यों के साथ मध्य प्रदेश में आज की प्रचलित दरों के हिसाब से प्रति व्यक्ति आय में उल्लेखनीय वृद्धि निश्चित ही आर्थिक प्रगति का एक शुभ संकेत है।
- मध्य प्रदेश के स्थिर भावों (वर्ष 2011-12) के आधार पर प्रति व्यक्ति शुद्ध आय वर्ष 2021-22 (त्वरित) में 61,534 रुपए थी, जो बढ़कर वर्ष 2022-23 (अग्रिम) में रुपए 65,023 हो गई है, जो गत वर्ष की तुलना में 5.67 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाती है।
- प्रचलित भावों के आधार पर राज्य की प्रति व्यक्ति शुद्ध आय वर्ष 2021-22 में 1,21,594 रुपए से बढ़कर वर्ष 2022-23 (अग्रिम) में 1,40,583 हो गई, जो 15.62 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाती है।
- वर्ष 2022-23 के अग्रिम अनुमानों के अनुसार राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में वर्ष 2021-22 (त्वरित) की तुलना में प्रचलित भावों पर 16.43 प्रतिशत तथा स्थिर भावों पर 7.06 प्रतिशत की वृद्धि रही है।
- राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में स्थिर भावों पर वर्ष 2022-23 अग्रिम के दौरान विगत वर्ष से प्राथमिक क्षेत्र में 5.24 प्रतिशत, द्वितीयक एवं तृतीय क्षेत्र में क्रमश: 5.42 प्रतिशत एवं 9.99 प्रतिशत की अनुमानित वृद्धि रही है।
- प्रधानमंत्री द्वारा भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के संकल्प में मध्य प्रदेश द्वारा 550 बिलियन डॉलर का योगदान देने का लक्ष्य रखा गया है। प्रदेश इस लक्ष्य की पूर्ति की दिशा में तेज़ी से कार्य कर रहा है।
- प्रदेश के बजट का आकार भी वर्ष 2001-02 की तुलना में पंद्रह गुना बढ़कर वर्ष 2023 में 2,47,715 करोड़ रुपए हो गया है।
- राज्य द्वारा लगातार राजकोषीय अनुशासन का निरंतर पालन करने से वर्ष 2005 का ऋण जीएसडीपी अनुपात जो वर्ष 2005 में 395 प्रतिशत था वह घटकर 22.6 प्रतिशत रह गया है, यानी कर्ज़ का भार कम हुआ है।
- मध्य प्रदेश में प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि प्रदेश में बेहतर वित्तीय प्रबंधन, वित्तीय समावेशन जैसे अर्थव्यवस्था के मूलभूत आधारों का परिणाम है।
- साथ ही प्रदेश में सरकारी बैंकिंग व्यवसाय में निरंतर वृद्धि, प्राथमिकता क्षेत्र के समय पर समुचित ऋण, जन-धन खातों में आमजन की बढ़-चढ़कर भागीदारी और बचत, प्रदेश में जन-आंदोलन का स्वरूप ले चुके स्व-सहायता समूहों द्वारा ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सतत् योगदान भी इसके प्रमुख कारकों में हैं।
- इसके अलावा कृषि-प्रधान प्रदेश में खाद्यान्न उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि, छोटे और मध्यम उद्योगों को बढ़ावा देने के साथ औद्योगीकरण के चौतरफा प्रयासों से बढ़ते निवेश की भी प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय वृद्धि में महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है।
- बिजली क्षेत्र में सरप्लस स्टेट होना, ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में सड़कों के नेटवर्क का अभूतपूर्व विस्तार तथा स्वास्थ्य, पोषण और सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्र में प्रदेश सरकार द्वारा किये गए सुविचारित प्रयास भी प्रदेश की इस महत्त्वपूर्ण उपलब्धि के पीछे हैं।