मध्य प्रदेश विषाक्त अपशिष्ट का निपटान करेगा | 30 Dec 2024

चर्चा में क्यों?

हाल ही में मध्य प्रदेश सरकार ने भोपाल गैस त्रासदी के 40 वर्ष पश्चात, भोपाल में यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड (UCIL) से निकले 337 टन ज़हरीले अपशिष्ट का निपटान शुरू कर दिया है। वे इस अपशिष्ट को धार ज़िले के पीथमपुर ले जाने की योजना बना रहे हैं।

मुख्य बिंदु

  • पर्यवेक्षित पैकिंग और स्टैकिंग:
    • फैक्ट्री प्रशासन केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) और मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (MPPCB) की देख-रेख में अपशिष्ट की पैकिंग और स्टैकिंग का काम कर रहा है।
    • पैकिंग और लोडिंग प्रक्रिया में विशेष रूप से प्रशिक्षित कर्मचारी शामिल होते हैं तथा आवश्यक सावधानियाँ बरतते हैं।
    • अपशिष्ट के लिये बारह विशेष रूप से डिज़ाइन किये गए वायुरोधी कंटेनरों का उपयोग किया जा रहा है।
  • लघु श्रमिक शिफ्ट:
    • विषाक्त अपशिष्ट के संपर्क को न्यूनतम करने के लिये श्रमिक नियमित 8-9 घंटे की शिफ्ट के स्थान पर 30-45 मिनट की शिफ्ट में काम कर रहे हैं।
    • भोपाल से पीथमपुर तक अपशिष्ट के सुरक्षित परिवहन के लिये 250 किलोमीटर का ग्रीन कॉरिडोर तैयार किया गया है।
  • परीक्षण और सुरक्षा आश्वासन:
    • वर्ष 2015 में, वैज्ञानिक देखरेख में पीथमपुर में 10 टन अपशिष्ट को जला दिया गया था, जिसके परिणाम उच्च न्यायालय को प्रस्तुत किये गये थे, जिसमें कोई हानिकारक प्रभाव नहीं दिखाया गया था।
    • सुरक्षा उपायों में संदूषण को रोकने के लिये लैंडफिल स्थलों पर दो-परत वाली झिल्ली और चार-परत वाली वायु निस्पंदन प्रणाली लगाना शामिल है।

भोपाल गैस त्रासदी

  • भोपाल गैस त्रासदी 2-3 दिसंबर 1984 को हुई थी, जब मिथाइल आइसोसाइनेट गैस लीक हुई थी, जिसमें 5,479 लोग मारे गए थे।
  • पाँच लाख से अधिक लोगों को दीर्घकालिक स्वास्थ्य प्रभाव झेलना पड़ा तथा इस त्रासदी से संबंधित अनेक मामले अभी भी न्यायालयों में लंबित हैं।