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संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) और हरियाणा के बीच हुआ समझौता

  • 30 Aug 2022
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

29 अगस्त, 2022 को संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) और हरियाणा के विदेश सहयोग विभाग के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुआ।

प्रमुख बिंदु 

  • इस समझौता ज्ञापन पर विदेश सहयोग विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव योगेंद्र चौधरी की उपस्थिति में विभाग के महानिदेशक अनंत प्रकाश पांडेय ने और भारत में संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम के प्रतिनिधि एवं कंट्री-डायरेक्टर बिशोव पराजुली ने हस्ताक्षर किये।
  • इस समझौते का मुख्य उद्देश्य खाद्य और पोषण सुरक्षा के लक्ष्यों को हासिल करने में योगदान देना है। इससे डब्ल्यूएफपी और हरियाणा राज्य के बीच की जाने वाली रणनीतिक पहलों के लिये आपसी समझ और दोस्ती में सुधार होगा तथा आपसी संबंधों को मज़बूती मिलेगी।
  • संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम के प्रतिनिधि और कंट्री-डायरेक्टर बिशोव पराजुली ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने से पूर्व कहा कि यह समझौता विश्व खाद्य कार्यक्रम और हरियाणा सरकार के बीच पहले से पायलट के तौर पर चल रहे ‘स्वचालित अनाज वितरण मशीन एवं ‘अन्नपूर्ति कार्यक्रम’पर आधारित है।
  • उन्होंने कहा कि इस साझेदारी के माध्यम से हमारा लक्ष्य अन्य गतिविधियों के अलावा, खाद्य और पोषण सुरक्षा के क्षेत्र में सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करके इस क्षेत्र के तकनीकी विशेषज्ञों को क्रॉस लर्निंग के लिये एक साथ लाना भी है।
  • विदेश सहयोग विभाग के महानिदेशक अनंत प्रकाश पांडेय ने इस अवसर पर कहा कि लोगों को खाद्य सुरक्षा प्रदान करने और सतत् विकास लक्ष्यों हेतु राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये साझेदारी के माध्यम से डब्ल्यूएफपी की वैश्विक और राष्ट्रीय विशेषज्ञता का लाभ उठाया जाएगा।
  • उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार डब्ल्यूएफपी के साथ सहयोग से आपूर्ति श्रृंखला अनुकूलन और सार्वजनिक वितरण प्रणाली सुधारों के कार्यान्वयन, वित्तीय और सामाजिक समावेश सहित महिला सशक्तीकरण, जलवायु अनुकूलन और लचीली खाद्य प्रणाली जैसे अन्य क्षेत्रों का पता लगाएगी, जिनमें साझा रूप से आगे बढ़ा जा सके।
  • इस कोऑपरेशन-फ्रेमवर्क के तहत, डब्ल्यूएफपी तकनीकी सहायता प्रदान करके मौज़ूदा क्षमताओं को मज़बूत करने और मौज़ूदा प्रणालियों को ठोस रूप से बनाने के लिये ज्ञान, कौशल एवं विशेषज्ञता के हस्तांतरण तथा आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान करेगा। इस साझेदारी की अवधि पाँच वर्ष की होगी।
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