राजस्थान के कुछ भागों में मानसून का निवर्तन | 25 Sep 2024

चर्चा में क्यों

हाल ही में दक्षिण-पश्चिम मानसून ने राजस्थान के भागों में निवर्तन शुरू कर दिया है, जो इस वर्ष देरी से निवर्तन का संकेत है।

मुख्य बिंदु

  • मानसून निवर्तन में देरी: दक्षिण-पश्चिम मानसून निर्धारित समय से एक सप्ताह देरी से पश्चिमी राजस्थान और कच्छ से वापस लौटना शुरू हो गया है तथा भारत मौसम विज्ञान विभाग (Indian Meteorological Department- IMD) के अनुसार अगले 24 घंटों में पंजाब, हरियाणा और गुजरात से भी निवर्तन की आशा है ।
    • कुल मिलाकर, सितंबर में 3% की कमी के बावजूद, मानसून की वर्षा सामान्य से 5% अधिक रही है ।
    • अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से उठे कई दबावों के कारण अगस्त में सामान्य से 15% अधिक वर्षा हुई, जबकि IMD ने 6% का अनुमान लगाया था।
  • ला नीना (La Niña) का प्रभाव: ला नीना के कारण सितंबर में वर्षा में 9% की वृद्धि के IMD के पूर्वानुमान के विपरीत, इस महीने में 3% की कमी देखी गई।
  • पूर्ण निवर्तन की समय-सीमा: दक्षिण-पश्चिमी मानसून की पूर्ण निवर्तन अक्तूबर के मध्य तक होने की आशा है, जिससे तमिलनाडु, केरल और आंध्र प्रदेश जैसे दक्षिणी राज्यों में उत्तर-पूर्वी मानसून के लिये रास्ता खुल जाएगा।

भारत में मानसून

भारतीय मानसून एक मौसमी पवन प्रणाली है जो देश की जलवायु और कृषि पैटर्न को निर्धारित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह एक विशिष्ट आर्द्र और शुष्क अवधि द्वारा चिह्नित है, जिसमें दक्षिण-पश्चिम मानसून जून और सितंबर के बीच वर्षा लाता है।

भारतीय मानसून की प्रमुख विशेषताएँ:

  • मौसमी पवन परिवर्तन:
    • मानसूनी हवाओं की विशेषता हवा की दिशा में बदलाव है। गर्मियों (जून से सितंबर) के दौरान, नम पवनें हिंद महासागर से ज़मीन की ओर बहती हैं (दक्षिण-पश्चिम मानसून), जबकि सर्दियों (अक्तूबर से दिसंबर) में, शुष्क पवनें ज़मीन से समुद्र की ओर बहती हैं (उत्तर-पूर्व मानसून)।
  • दक्षिण-पश्चिम मानसून:
    • यह गर्मियों के महीनों (जून से सितंबर) के दौरान हावी रहती है और दो शाखाओं में विभाजित होती है: अरब सागर शाखा और बंगाल की खाड़ी शाखा
    • ये पवनें भारी वर्षा लाती हैं, विशेष रूप से पश्चिमी तट, पूर्वोत्तर क्षेत्रों और सिंधु-गंगा के मैदानों में।
    • दक्षिण -पश्चिम मानसून भारत की कृषि को सहायता प्रदान करता है, तथा खरीफ फसल मौसम की अधिकांश सिंचाई इसी से होती है।
  • पूर्वोत्तर मानसून:
    • यह रोग सर्दियों के महीनों (अक्तूबर से दिसंबर) के दौरान होता है और मुख्य रूप से दक्षिणी भारत, विशेषकर तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और केरल को प्रभावित करता है।
    • यह दक्षिण-पश्चिम मानसून की तुलना में कम वर्षा लाता है और रबी फसलों पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।
  • मानसून का निवर्तन:
    • जैसे ही मानसून का निवर्तन होता है, उत्तर से आने वाली शुष्क पवनें शीत तापमान लाती हैं, जो विशेष रूप से उत्तरी भारत में शीत ऋतु के आगमन का संकेत है।