मॉब वायलेंस एंड मॉब लिंचिंग निवारण विधेयक, 2021 | 19 Mar 2022
चर्चा में क्यों?
17 मार्च, 2022 को झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस ने मॉब वायलेंस एंड मॉब लिंचिंग निवारण विधेयक, 2021 को राज्य सरकार को वापस कर दिया।
प्रमुख बिंदु
- राज्यपाल रमेश बैस ने इस विधेयक में ‘भीड़’ शब्द को फिर से सही तरीके से परिभाषित करने का निर्देश देते हुए विधेयक को वापस कर दिया है।
- इस विधेयक को राज्यपाल ने करीब चार महीने तक अपने पास रखा और विधि विभाग से परामर्श कर इसे वापस कर दिया।
- उल्लेखनीय है कि संविधान के अनुच्छेद 200 के तहत राज्यपाल को यह अधिकार है कि वो राज्य विधानसभा द्वारा पारित किसी भी विधेयक पर अपनी अनुमति दे सकता है, अनुमति रोक सकता है, विधेयक (धन विधेयक को छोड़कर) को पुनर्विचार के लिये लौटा सकता है या विधेयक को राष्ट्रपति के लिये सुरक्षित रख सकता है।
- गौरतलब है कि पिछले वर्ष 21 दिसंबर को झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र में राज्य की हेमंत सरकार ने इसे सदन से पारित कराकर इस कानून पर मुहर लगाने के लिये राज्यपाल के पास भेजा था।
- राज्य सरकार ने मॉब लिंचिंग निवारण विधेयक, 2021 में जुर्माने के साथ संपत्ति की कुर्की और तीन साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सज़ा का प्रावधान किया है।
- इस विधेयक में मॉब लिंचिंग में किसी की मौत होने पर दोषी को आजीवन कारावास की सज़ा का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा गंभीर चोट आने पर 10 साल से लेकर उम्रकैद तक की सज़ा का प्रावधान है।
- विधेयक के अनुसार, भीड़ को उकसाने वालों को भी दोषी माना जाएगा और उन्हें तीन साल की सज़ा दी जाएगी। अपराध से जुड़े किसी साक्ष्य को नष्ट करने वाला भी अपराधी माना जाएगा। इसके अलावा इस विधेयक में पीड़ित परिवार को मुआवज़ा व पीड़ित के मुफ्त इलाज की व्यवस्था का प्रावधान किया गया है।