मध्य प्रदेश
गौण खनिज नियम, 1996 में संशोधन
- 16 Jul 2022
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चर्चा में क्यों?
15 जुलाई, 2022 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद की बैठक में मंत्रिपरिषद द्वारा मध्य प्रदेश गौण खनिज नियम, 1996 में संशोधन के संबंध में अनुमोदन प्रदान किया गया।
प्रमुख बिंदु
- वर्तमान में नियमों में ई-निविदा से उत्खनन पट्टा प्रदान करने की प्रक्रिया निर्धारित है। अब ई-निविदा से उत्खनि पट्टा एवं समेकित अनुज्ञप्ति पृथक्-पृथक् आवंटित करने का नियमों में संशोधन किया गया है।
- निजी भूमि में वर्तमान नियम में अनुसूची-पाँच के उत्खनन पट्टा भूमि-स्वामी अथवा उसके सहमति धारक को आवंटित करने का प्रावधान है। वर्तमान प्रावधान में उत्खनन पट्टा ग्रांट करने से पूर्व भूमि-स्वामी को पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति का कार्य करना भी अनिवार्य किया गया है।
- वर्तमान निर्धारित प्रक्रिया समेकित अनुज्ञप्ति ही है, इसलिये नियमों में निजी भूमि पर उत्खनन पट्टा प्रदान करने के शब्द के स्थान पर समेकित अनुज्ञप्ति का शब्द समाविष्ट किया जाना प्रावधानित किया गया है।
- वर्तमान नियमों में शासकीय विभाग की अनुमति से सरकारी तालाब एवं अन्य संरचनाएँ तथा ग्राम पंचायत की अनुमति से उनके द्वारा निर्मित/संधारित तालाब एवं अन्य संरचनाओं से निकलने वाली कीचड़, गाद पर स्वयं के कार्यों के उपयोग के लिये रॉयल्टी एवं परिवहन अनुज्ञा की आवश्यकता नहीं है। अब निकलने वाली कीचड़, गाद के साथ मिट्टी पर भी रॉयल्टी एवं परिवहन अनुज्ञा की आवश्यकता नहीं होगी।
- वर्तमान नियमों में उत्खनन पट्टा के लिये वर्ष के प्रथम माह की 20 तारीख तक देय अग्रिम मृत कर राशि एकमुश्त जमा करने का प्रावधान है। अब यह राशि अग्रिम दो किश्तों में पट्टाधारियों से जमा कराए जाने के प्रावधान किये गए हैं।
- अनुसूची-एक, अनुसूची-दो एवं अनुसूची-पाँच में विनिर्दिष्ट खनिजों के शोधों (अनिवार्य भाटक, स्वामित्व, भूतल भाटक, जिला खनिज प्रतिष्ठान की राशि व अन्य देय राशि) के विलंब भुगतान पर 12 प्रतिशत प्रतिवर्ष ब्याज का भुगतान किया जा सकेगा।
- उपरोक्त के अतिरिक्त अन्य तकनीकी सुधार मध्य प्रदेश गौण खनिज नियम, 1996 में किये गए हैं, जिससे प्रदेश में खदानों के आवंटन में गति लाने, प्रदेश में निवेश को बढ़ावा देने तथा खनिज राजस्व में वृद्धि के साथ रोज़गार सृजन के अवसर उत्पन्न हो सकेंगे।