छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ के बस्तर में मिली माओवादियों की सुरंग
- 03 Feb 2024
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में माओवाद प्रभावित बीजापुर में एक ऑपरेशन से लौट रहे सैनिकों को नक्सलियों द्वारा खोदी गई 130 फीट लंबी सुरंग का पता चला है।
मुख्य बिंदु:
- लगभग दो दशक पहले उग्रवाद शुरू होने के बाद से यह बस्तर में इस तरह की पहली खोज है और इसने उग्रवाद विरोधी अभियानों में जटिलता की एक परत जोड़ दी है।
- ज़िला रिज़र्व गार्ड के जवानों को रायपुर से लगभग 330 किमी. दक्षिण में इंद्रावती के तट पर ताड़ोपोट गाँव के पास सुरंग मिली।
- ऐसी सुरंग की खोज से संकेत मिलता है कि माओवादी सुरक्षा अभियानों और हवाई निगरानी को तेज़ करने से निपटने के लिये रणनीति बदल रहे हैं।
भारत में वामपंथी उग्रवाद
- वामपंथी उग्रवादियों को विश्व के अन्य देशों में माओवादियों के रूप में और भारत में नक्सलियों के रूप में जाना जाता है।
- नक्सलवाद शब्द का नाम पश्चिम बंगाल के गाँव नक्सलबाड़ी से लिया गया है। इसकी शुरुआत स्थानीय ज़मींदारों के खिलाफ विद्रोह के रूप में हुई, जिन्होंने भूमि विवाद पर एक किसान की पिटाई की थी।
- विद्रोह की शुरुआत वर्ष 1967 में कानू सान्याल और जगन संथाल के नेतृत्व में मेहनतकश किसानों को भूमि के उचित पुनर्वितरण के उद्देश्य से की गई थी।
- यह आंदोलन छत्तीसगढ़, ओडिशा और आंध्र प्रदेश जैसे कम विकसित पूर्वी भारत के राज्यों में फैल गया है।
- यह माना जाता है कि नक्सली माओवादी राजनीतिक भावनाओं और विचारधारा का समर्थन करते हैं।
- माओवाद, साम्यवाद का एक रूप है जो माओत्सेतुंग द्वारा विकसित किया गया है। इस सिद्धांत के समर्थक सशस्त्र विद्रोह, जनसमूह और रणनीतिक गठजोड़ के संयोजन से राज्य की सत्ता पर कब्ज़ा करने में विश्वास रखते हैं।